ध्यान और अभ्यास से आप अपने में समान गुणों और क्षमताओं का विकास कर सकते हैं
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। खामियां हमें परेशान करती हैं, इतना अधिक कि आसानी से उत्तेजित होना एक आदत बन जाती है। जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं, क्रोधी होना एक व्यक्तित्व विशेषता बन जाता है। जो लोग अधिक आराम से या जैसा कि वे कहते हैं, ‘चिल्ड आउट’ वे अधिक खुशी से रहते हैं और अपने आराम से लोगों को आसानी से आकर्षित करते हैं।
यह विचार आर्ट आफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर के प्रतिनिधि आचार्य बालकृष्ण ने व्यक्त किया। वह शहर से पांच किलोमीटर दूर सनई स्थित एक होटल में रोटरी क्लब के तत्वावधान में व्यक्तित्व विकास संबंधी आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने अपनी त्वचा और खिंचाव में ठंडक महसूस करने के लिए, खामियों को जगह देने में सक्षम होना महत्वपूर्ण है।
सब कुछ नहीं, आपके आस-पास के लोग, जिन स्थितियों में आप खुद को पाते हैं, और आपका खुद का व्यक्तित्व वैसा ही होना चाहिए जैसा आप चाहते हैं कि वे हर समय रहें। ध्यान और अभ्यास से आप अपने में समान गुणों और क्षमताओं का विकास कर सकते हैं। यह एक विकास मानसिकता है, जिसे सफलता के लिए डिज़ाइन किया गया है। संचालन नितेश पांडेय ने किया।
इस मौके जिला विकास अधिकारी शेषमणि सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. एमपी सिंह, उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. राज बहादुर यादव समेत अरुण प्रजापति, सुजीत जायसवाल, प्रेम प्रकाश श्रीवास्तव, राम करन गुप्ता, संतोष श्रीवास्तव, गोविंद ओझा, सुरेश पांडेय, राम शंकर पांडेय, सुरेंद्र श्रीवास्तव, कैलाश मणि त्रिपाठी, अमित त्रिपाठी, राणा प्रताप सिंह, अरुण त्रिपाठी, पंकज पासवान, अंब्रीश यादव, विकास पांडेय, अभय श्रीवास्तव, शुभम श्रीवास्तव आदि उपस्थित थे।