विधानसभा अध्यक्ष जी, आपके जिले में डाक्टर नहीं हैं? कैसे होगा इलाज
संजीव श्रीवास्तव
“प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय का गृह जनपद होने के चलते पूरे सूबे में सिद्धार्थनगर को वीआईपी जिले का दर्जा प्राप्त हैं, मगर इस जिले में डाक्टरों की कमी चलते स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से चरमरा गयी है। हालांकि यहां पर फिजिशियन समेत विशेषज्ञ चिकित्सकों के पद जरुर स्वीकृत हैं, मगर तैनाती न होने के कारण जिले की 25 लाख से अधिक आबादी को बीमार पड़ने पर गोरखपुर, लखनऊ आदि नगरों में जाना पड़ता है”
सीएमओ कार्यालय के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों के लिए चिकित्सकों के 163 पद स्वीकृत हैं, मगर तैनाती सिर्फ 73 की है। इसमें फिजिशियन के स्वीकृत 11 पदों के सापेक्ष तैनाती एक भी नहीं है। सर्जन 11 होने चाहिए, मगर हैं केवल 5। उसमें भी सामान्य सर्जन एवं 2-2 आर्थो व नेत्र सर्जन हैं। बाल रोग विशेषज्ञ के स्वीकृत 7 पदों में तैनाती 3 है। रेडियोलाजिस्ट व पैथालोजिस्ट एक भी नहीं हैं।
प्रदेश सरकार आयेदिन लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सेवा देने का ढिढोरा पीटती है। स्वयं विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय भी सरकार की बातों को दमदारी से स्वीकार करते हैं, मगर जब उन्हीं के जिले में स्वास्थ्य सेवा डाक्टरों की कमी का दंश झेल रही है, तो सूबे के अन्य स्थानों की स्थिति का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
वैसे भी सिद्धार्थनगर जानलेवा इंसेफेलाइटिस से सर्वाधिक पीड़ित जिलों में शुमार है। यहां का ग्रामीण इलाका जापानी बुखार के लिहाज से संवेदनशील भी है। इसके अलावा संक्रामक बीमारियों द्वारा आयेदिन पांव पसारने की सूचना भी मिलती रहती है। ऐसे में चिकित्सकों की कमी के कारण कई मरीजों की मौत होना कोई अचरज की बात नहीं है।
इस सिलसिले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा बी के गुप्ता ने बताया कि अभी हाल में ही प्रमुख सचिव की बैठक के दौरान जिले में डाक्टरों की कमी का मुददा उठाया गया था। बैठक के दौरान इस समस्या के जल्द निदान का आश्वासन भी मिला है।