बांसी ज़मीदारी बाँध भी टूटा: मंत्री-राजा का मोहल्ला बचा और डूब गई प्रजा
नज़ीर मलिक
पानी से घिरे ग्रामीणों को निकालती NDRF के जवान B
सिद्धार्थनगर। बांसी तहसील मुख्यालय के करीब राप्ती नदी पर बना ज़मींदारी बांध टूट गया। शनिवार दोपहर को हुई इस घटना के बाद से दर्जनों गांवों में कोहराम मच गया है।नदी के दूसरे किनारे राजा बांसी/आबकारी मंत्री का राजमहल है। उस तटबंध को विभाग ने बहुत मेहनत करके बचा लिया है। राजा सुरक्षित, प्रजा जाए भाड़ में।
मिली जानकारी के मुताबिक आज लगभग 12 बजे बांसी टाउन के पास पिपरहिया गाँव के बगल बना बाँध टूट गया। बाँध के टूटते ही पिपरहिया समेत गरग़ज़वा, कठहां आदि गावों में भगदड़ मच गयी। लोग भाग कर सुरक्षित स्थानों पर जमा होने लगे। ये बाँध पहले से ही कमज़ोर था। रिसाव हो रहा था, मगर सिंचाई विभाग को इसकी फिक्र न थी, जबकि राप्ती नदी पिछले 50 सालों में अपने दूसरे उच्च जलस्तर को छु रही है।
बाँध टूटने के बाद गाँव छोड़ के भागते ग्रामीण
बताया जाता है कि इस तटबंध के टूटने से कम से कम 70 गाँव बुरी हालत में फंस गए हैं। लोग सर्कार को कोस रहे हैं। गौर तलब है कि कल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ज़िले के दौरे पर अफसरों की लापरवाहियों पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी थी। इसके बावजूद अफसरों की नींद नहीं टूटी। दूसरे की बात छोड़ें, खुद कई भाजपा नेता भी कहते सुने गए केI इतना निकम्मा प्रशासन इससे पूर्व की सरकारों में भी नहीं दिखा था।
दरअसल नदी के दूसरे किनारे पर बांसी के नरकटहा वार्ड के हिस्से को बचाने के ये भी सुरक्षात्मक बाँध बनाया गया है। इसी वार्ड में बांसी के पूर्व नरेश और यूपी सरकार के आबकारी मंत्री जय प्रताप सिंह का महल भी है। बताया जाता है कि उस बाँध के कमज़ोर होने की सूचना पर सरकारी अमला उसे बचाने में लगा रहा और उसके बगल का तटबंध मरम्मत के अभाव में टूट गया।
बांसी क्षेत्र के कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कैलाश वाजपेयी का कहना है कि इस सरकार में अफसरों ने कमजोर तटबंधों की मरम्मत नहीं कराई। सारा सरकारी धन बन्दर बाँट का शिकार हो गया। यही कारण है कि पूरे ज़िल में तटबांध धड़ाधड़ टूट रहे हैं। उन्होंने बांधों के टूटने की जाँच की मांग की है।