बाप की रहस्यमय हालात में मौत, तीन बच्चे हुए अनाथ, चारों ओर हाय-हाय का मातम
10 वर्ष पहले ही मर चुकी थी मां, नाना-नानी, दादा-दादी भी नहीं, आज के दौर में कौन करेगा मासूमों का पालन-पोषण व शिक्षा दीक्षा
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। चार दिन पहले गायब हुए युवक की लाश कल उसी के गांव के बगल के पूरब बने पोखरे में पाई गई है। घटना इटवा थाना क्षेत्र के गनवरिया गांव की है। पैंतीस वर्षीय मृतक का नाम बबलू दुबे है। उसकी मौत के बाद उसके बच्चे अनाथ हो गये हैं, क्योंकि उसकी पत्नी की पूर्व में मौत हो चुकी है। इस घटना से गांव में शोक छा गया है। ग्रामीण तीनों बच्चों को देख कर हाय हाय कर रहे हैं।
क्या है मौत की पूरी कहानी
बताया जाता है कि क्षेत्र के गनवरिया पूरब गांव निवासी बबलू दूबे पुत्र मनबहाल दुबे भाईयों से बंटवारा करके अलग रहते थे। उनकी पत्नी की दस वर्ष पहले ही मौत हो गई थी। इसके बाद तीन बच्चे एक लड़का और दो लड़की उनकी ससुराल पथरा थाना क्षेत्र के खोड़ारे गांव में रहते थे। बबलू घर पर अकेले रहकर बनाते और खाते थे। पड़ोसियों के मुताबिक सोमवार शाम वह घर से अचानक लापता हो गए। देर रात तक जब नहीं लौटे तो लोगों का लगा कि कहीं रिश्तेदारी में या फिर बाहर चले गए होंगे। क्योंकि पहले भी अकसर वह निकल जाते थे। लेकिन इस बार ऐसा नहीं था। कोई ढूढऩे वाला भी नहीं था जो पता करे। बच्चे भी अभी नाबालिग थे।
बुधवार सुबह गांव के तालाब में ग्रामीणों में उतराता हुआ शव देखा। देखते ही देखते मौके पर लोगों की भीड़ एकत्र हो गई। इसके बाद किसी ने मामले की जानकारी पुलिस को दी। सूचना पर पहुंची पुलिस ने ग्रामीणों की मदद से शव को बाहर निकलवाया तो शिनाख्त बबलू की रूप में की गई। इसके बाद पुलिस ने पड़ोसियों की मदद से शव का पंचनामा करवाया और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। प्रत्यक्षदर्शी डूबने से मौत की आशंका व्यक्त कर रहे हैं। लाश की स्थिति को देखकर लग रहा है कि जिस दिन बबलू गायब थे, उसी दिन डूबे होंगे। क्योंकि लाश सड़ने लगी थी और पूरी तरह से पानी भर गया था। अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ही पता चलेगा कि लगभग कितने घंटे पहले मौत हुई थी। मौत डूबने से हुई या फिर अन्य कारण है?
बबलू की मौत पर उठे सवाल
ग्रामीणों के अनुसार बबलू दुबे की मौत सबसे बड़ी दिक्कत उनके तीनों बच्चों की है। बड़ी बेटी अभी सिर्फ 13 साल की है। बेटा 11 साल और सबसे छोटी बेटी मात्र 9 की ही है। उनका कोई करीबी रिश्तेदार भी नहीं है। वह लोग अभी ननिहाल के गांव (खेड़ारे) में ही हैं। नाना नानी हैं नहीं, ऐसे में मामा मामी उनकी परवरिश ढंग से कर पायेगें, यह सबसे बड़ा सवाल है। एक सवाल यह भी है कि वह बच्चों को बिना बताये अचानक अपने पुश्तैनी गांव क्यों गये थे? क्या उनकी हत्या दुर्घटना थी अथवा कोई साजिश की गई है? फिलहाल इसके जवाब जाचं के बाद ही मिल सकेगा। इस संबंध में एसओ इटवा एसओ विजय बहादुर सिंह का कहना है कि लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई है। रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
पहले मां और अब सिर से उठा पिता का साया
बबूल दूबे के तीन बच्चे हैं। पत्नी की 10 वर्ष पहले ही मौत हो गई थी। तब बच्चे छोटे थे, इसलिए ननिहाल के लोग पालन पोषण करने के लिए लेकर चले गए थे। तब से वे वहीं पर रहे थे। मां का साथ बचपन में ही छूट गया था। पिता का सिर पर साया था। लेकिन बबलू की मौत के बाद वह भी हट गया। अब बच्चे पूरी तरह से अनाथ हो गए। घर पहुंचने वाले हर शख्स की जुबान पर यही था कि बच्चे कितनी बदनसीब है कि इतनी क्रम उम्र में मां और पिता दोनों से उनसे हमेशा के लिए दूर हो गए हैं। पिता की मौत की खबर मिलने के बाद दोनों बेटियां और बेटे पहुंचे थे। जिनका रो-रोकर बुरा हाल था।