चार सौ गांव व तीन लाख आबादी प्रभावित, डेढ़ सौ गांव पानी से घिरे, तटबंध टूटा, चारों ओर कोहराम

July 13, 2024 1:42 PM0 commentsViews: 521
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पानी से घिरे गांवों के नागरिक दहशत से सुरक्षित जगहों पर कर रहे पलायन, जिले की कई दर्जन सड़कें सैलाब में डूबीं, डुमरियागंज में सर्वाधिक तबाही मचा रही राप्ती नदी

नजीर मलिक

शोहरतगढ़ तहसील के खैरी शीतल गांव से पलायन करते लोग

सिद्धार्थनगर। सभी नदियों के डैंजर लेबिल पार कर जाने से सैलाब ने जिले में कोहराम मचाा दिया है। पानी के दबाव से जहां शाहपुर बांध टूट गया है वहीं जिले के लगभग 4 सौ गांव और लगभग 3 लाख आबादी बुरी तरह प्रभावित है। इनमें तकरीबन डेढ़ सौ गांव पानी से घिरे हुये हैं। राहत और बचाव के लिए तैनात नावें नाकाफी बताई जा रही है। समाचार लिखे जाने तक नदियों के जल स्तर में तेजी से वृद्धि होती जा रही है। सैलाब का खतरनाक रुख देख कर अब ग्रामीणों में भय की लहर दौड़ने लगी है। वह गांवों से पलायन कर अन्यत्र शरण लेने को मजबूर है। जिले में राहत और बचाव के लिए नाव व खाद्यान्न की मांग उठने लगी है।

राप्ती व बूढ़ी राप्ती नदी के डैंजर लेबिल से ऊपर होने के 24 घंटे बाद ही जिले की कूड़ा, घोंघी, बानगंगा और तेलार नदियां भी डैंजर लेबिल को पार गई हैं। इससे यहां बाढ़ की हालत बिगड़ गई है।  वर्तमान में कूड़ा नदी अपने खतरा बिंदू से 20 सेमी., घोंघी 20 सेमी., बानगंगा बिलकुल डेजर लेबिल पर तथा घोंघी नदी डैंजर लेबिल से 80 सेमी ऊपर बह रही है। बूढ़ी राप्ती कल से ही खतरा बिंदू से दो मी. ऊपर तथा राप्ती डैंजर लेबल से 38 सेमी. ऊार बह रही है। इनमें सबसे ज्यादा तांडव राप्ती नदी मचा रही है।

                नेबुआ गाव के पास टूटा बांध

डुमरियागंज तहसील सर्वाधिक प्रभावित

प्रप्त जनकारी के अनुसार बाढ़ से सर्वाधिक प्रभाव डुमरियागंज में पड़ रहा है। प्रशासन के मुताबिक यहां 184 गांव बाढ़ प्रभावित है। इनें 35 गांव पानी से घिरे हुये यानी मैरूंड हैं।  जबकि प्रभावित और मैरूंड गांवों की मदाद और अधिक हो सकती है। क्यों कि तमाम गांवों की रिपोर्टें अभी नहीं पहुंची हैं। राप्ती की बढ़ से  राप्ती नदी पर पानी के बढ़ते दबाव के कारण बीती रात डुमरियागंज तहसील का शाहपुर सुरक्षात्मक बांध नेबुआ के सामने टूट गया है। दूसरी तरफ शाहपुर-भोजपुर बांध से मछिया गांव के पास के गैप पानी आने के कारण  इलाके के रमवापुर, नेबुआ, धनोहरी, फत्तेपुर. खुरपहवा, पेड़ारी आदि गांव चारों तरफ से पानी से घिरे कर जलमग्न हो गये हैं।  इसके अलावा बीरपुर कोहल, तेतरी, बुढ़िया टायर, भरवठिया, सोनखर बड़हरा, बेव, असनहरा, जहदा, आदि गांवों में तबाही मची हुई है। राप्ती की बाढ़ से बांसी तहसील में भी पनघटिया, बंजरहा, देवली आदि दो दर्जन गांव मैरूंड हैं। गागापुर सड़क पानी में डूब गई है। भनवापुर में एक पावर हाउस पानी में डूब गया है।

इसी प्रकार बानगंगा, बूढ़ी राप्ती, कूड़ा व घोघी नदियों से नौगढ़ तहसील के गायघाट, रीवां, अमरिया, लाऊ खाई, सांगल दीप, भलुहा, चनरैया, देवलहवा आदि गांव तथा शोरतगढ़ तहसील के खैरी शीतल, झुंगवां, भुतहवा, मेचुका, मझवन, अमहवा, नदवलिया, नवेल, रमनगरा, आदि कई  दर्जन गांव पानी से घिरे हुए अथवा बाढ़ प्रभावित है। कई गांव के लोग गांव छोड़ कर सुरक्षित स्थान की तलाश में पलायन कर रहे है। खुरपहवा, मछिया जैसे गांवों में ऐसी हालत देखी जा सकती है। जानकारों का कहना है कि यदि पानी का दबाव थोड़ा और बढ़ा तो कई तटबंधों को खतरा पहुंच सकता है। तटबंधों में रिसाव की सूचना  स्वयं प्रशासन ने की है।  पूर्व सांसद कुशल तिवारी ने दर्जर्नों गांवों का दौरा कर बताया कि अब हालत गंभीर है। प्रशासन को राहत और बचााव कार्य में तेजी लाने की जरूरत है।

बाढ़ में डूबी एक सड़क

दर्जनों सड़के पानी में डूबीं

भयंकर सलाब के चलते जिले में लगभग एक दर्जन प्रमुर्ख मार्ग सुरक्षा की दुष्टि से बंद कर दिया गया है। इनमें शाहपुर सिंगारजोत मार्ग पहले ही डूब चुका था और बाढ़ के कारण नेपाल व बस्ती मंडल मुखालय को जोड़ने वाले मार्ग को कल शाम को बंद केया गया था लेकिन अब खबरें मिल रही है कि जिला मुख्यालय-देवलहवा मार्ग, गागापुर मंदिर मार्ग,  मन्नीजोत भरवठिया मार्ग खुरहवा मन्नी जोत मार्ग, तुलसियापु़ऱ- कठेला आदि मार्गों पर कई फीट पानी बह रहा है। सोनबरसा- भैंसाही, सोनपुर- गजरहवा मार्ग पर कमर तक पानी चढ़ा हुआ है। इसके अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्रों में कितनी सड़कें डूबी हैं इसकी कोई गिनती ही नहीं है। इसके अलावा सिद्धार्थनगर- बलरामपुीर मार्ग पर शोहरतगढ़ के हलौरा गोल्हौरा के पास सछ़क पर पानी चढ़ गया है। बानगंगा नदी में यदि और बढ़ाव हुआ तो यह प्रमुख मार्ग में रात तक बंदहो जायेगा।  कुल मिला कर सैलाब ने जिले की आवागमन की व्यवस्था को बिलकुल पंगु बना दिया है।

जिला मुख्यालय पर बाढ़ की दस्तक?

प्रलयंकारी सैलाब की आहट अब मुख्यालय पर भी दस्तक देने लगी है। शहर के बाहरी छोर स्थित दो बड़े स्कूलों में सैलाब का पानी घुसने लगा है। दोपहर तक इनमें दो फिट पानी आ गया था।  शहर के उत्तरी क्षेत्र में स्थित जमुआर नाले में ऊफान है। कूडा नदी उस्का बाजार पुल के पास चोक होने की स्थिति में आ गयी है। जब नदी रेलवे ब्रिज के पास चोक होती है तो नदी के बैक स्ट्रीम से पानी जमुआर में बढ़ने लगता है। ऐसी हालत में जिला मुख्यालय के असपास के कई गांव व शहर के कई वार्ड इसकी चपेट में आ जाते हैं। इस बार भी बैक स्ट्रीम की आशंका है। दोनों स्कूलों तक पानी पहुंच जाना एक अशुभ संकेत माना जा रहा है।यदि कूड़ा नदी और बढ़ी तो सिद्धार्थनगर- गोरखपुर मार्ग भी बंद हो सकता है। सैलाब का पानी इस मार्ग के पास हिलोरें मारने लगा है।

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