संकट बरकार, कोतवाली में घुसा पानी, सैकड़ों गांवों में मुठ्ठी भर लाई चना के लिए मचा हाहाकर

October 18, 2022 1:31 PM0 commentsViews: 279
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जोगिया कोतवाली में घुसा पानी, 7 सौ बाढ़ प्रभावित गांवों में 6 सौ गांव मैरूंड, अब तक 10 मौतें व 70 हजार हेक्टेयर फसलें तबाह

नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर। जिले में बाढ़ का संकट अभी टला नहीं है। राप्ती और बूढ़ी राप्ती नदियों के डैंजर लेबल से अभी भी ऊपर होने के कारण अभी भी हालत काफी खराब हैं। हालत यह है कि जिले का राष्ट्रीय राजमार्ग 28 अभी भी बंद है जिससे सिद्धार्थनगर मुख्यालय से इस मार्ग पर रोडवेज की  सभी 27 बसों सहित हर प्रकार के वाहनों का संचलन चार दिनों से बंद है। इस दौरान बूढ़ी राप्ती के पानी जोगिया कोतवाली भी डूब गई है।जिले में बाढ़ से अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है।सैकड़ों गांवों में भूख से लड़ने के लिए मुठठी भर चने अथवाएक सूखी रोटी केलिए हाहाकार मचा है।

कोतवाली में घुसा पानी

बताया जाता है कि रविवार की शाम एनएच 28 पर ब्लाक मुख्यालय जोगिया के पास पानी चढ़ जाने के बाद बूढ़ा राप्ती के पानी से  कोतवाली भी प्रभावित होने लगी। औरफिर पानी घीरे घरे कोतवाली परिसर में भी भर गया। पलिस वालों ने बड़ी मश्किल से अपने अभिलेख बचाये। वहां सेमवार शाम से ही अफरा तफरी को  माहौल है। दूसरी  तरफ ब्लाक मुख्यालय के अनेक घरों में भी पानी घुस गया है। यही हालत तहसील मुख्यालय डुमरियागंज और बांसी का है। वहां भी दर्जन भर मुहल्लों में सैलाब का पानी घुसा हुआ है। उधर भनवापुर और डुमरियागंज ब्लाक में तबाही का भयंकर दौर अभी थमा नहीं है। ग्राम बड़हरा, नेबुआ, बगहवा, बेतनार, तेतरी, पिकौरा आदि सौ गांवों की हालत खराब है। वहां राहत की मांग बढ़ती ही जा रही है।

खेती तबाह, मुआवजा दे सरकार

दूसरी तरफ किसानों की फसलों को काफी क्षति हुई है।किसान रात संवारे कनजिया बताते है कि जो फसलें पकने के कगार पर थीं वह पानी में डूब कर बरबाद हो चुकी हैं। उनका बव पाना असंभव है। इसी प्रकार जो धान पन्द्रहदिन बाद पकने वाला था वह भी सड़ कर खरीब हो रही हैं। सब्जियां तों में ही सड़ रही हैं। मदर भी फसल भी क्षति ग्रस्त हो चुकी है। तेतरी के प्रगतिशील किसान व पूर्व प्रधान पप् मलिक कहते हैं कि सैलाब की कठिनाइयां अकथनीय हैं। लकिन अब सरकार को बरबाद हो चुकी खरीफ की फसल के बादकिसानों को मुआवजा अथवा बीमा भुतान पर ध्यान देना चाहिए।

अब तक हुईं दस मौेते

जिले में अब तक बाढ़ में डूबने से नौ लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें बांसी तहसील में दो, डुमरियागंज में पांच और इटवा में दो मौत शामिल है। वहीं बाढ़ प्रभावित गांवों की तादाद 700 जिसमें मैरूंड गांवों की तादाद लगभग 600 बताई जाती है। हालांकि प्रशासन ने अधिकृत तौर परप्रभावित गांवों की तादाद 543 तथा मैरूंड गांवों की संख्या 359 ही बताया है।

प्रशासन के मुताबिक बांसी में बाढ़ प्रभावित गांवों की तादाद 147 हो गई है, इसमें 67 गांव मैरूंड है। नौगढ़ में बाढ़ प्रभावित 89 गांवों में 66 गांव मैरूंड है, डुमरियागंज में बाढ़ प्रभावित 130 में 82 गांव मैरूंड, इटवा में बाढ़ प्रभावित 93 गांव में 60 गांव मैरूंड है।इसी प्रकार शोहरतगढ़ में 84 बाढ़ प्रभावित गांवों में सभी 84 गांव मैरूंड है। बाढ़ से जिले की 4.23 लाख आबादी प्रभावित है, हालांकि लोगों के अनुमान के अनुसार बाढ़े प्रभावित आबादी की जनसख्या सरकारी आंकड़ों के मुकाबले कम से कम डेढ़ गुना ज्यादा है। प्रशासन ने जिले की जलमग्न कृषि भूमि का क्षेत्रफल 55 हजार हेक्टेयर बताया है जबकि बाढ़ का मनोविज्ञान समझने वालों के अनुसार यह क्षेत्रफल लगभग 70 हजार हो सकता है।

क्या बोले डी एम

इस बारे में डीएम संजीव रंजन ने कहां कि प्रशासन की हालात पर पूरी नजर है।उनके मुताबिक  बाढ़ प्रभावित गांवों में 218 नावें और 31 मोटरबोट लगाई गई हैं। लोगों में राहत वितरण का कार्यक्रम तेजी से चलाया जा रहा है। बा़ढ़ पीड़ितो में बाढ़ राहत सामग्री, लाई, चना, पानी एवं लंच पैकेट का वितरण किया जा रहा है। जिलाधिकारी ने कहा कि बाढ़ प्रभावित लोगो की सहायता के लिए संबधित तहसीलो के उपजिलाधिकारी/तहसीलदार को निर्देश दिया गया है कि बाढ़ प्रभावित लोगो को राहत सामग्री एवं लंच पैकेट वितरित करते रहें। उन्होंने कहा कि किसी को भोजन आदि की समस्या नही होने दी जायेगी।

दूसरी तरफ अनेक गांवों से राहत वितरण विशेष कर खाद्यान्न की मांग बढ़ती जा रही है। लोगों के घरों में नमक और माचिस की बेहद जरूरत है। हालांकि प्रशासन के अतरिक्त कई राजनीतिज्ञ भी अपने स्तर से राहत और बचाव कार्य में भाग ले रहे हैं। वह यथाशक्ति लोगों की मदद में जुटे हुए हैं पर सामाजिक संस्थाएं जरूर कहीं पर नहीं दिख रही हैं। केवल रेडक्रास सोसाइटी की तरफ से बाढ़ पीडितों  को खाद्य साम्रग्री वितरित की जा रही है। मगर वह नाकाफी है। जनप्रतिनिधियों ने राहत वितरण में और तेजी लाए जाने की प्रशासन से मांग की है।

 

 

 

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