पूर्वी उत्तर प्रदेश में मिसाल बनने लगा है बयारा गांव का इस्लामिक बैंक

December 4, 2015 4:34 PM9 commentsViews: 4385
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नजीर मलिक

बयारा गांव का बैतुल माल यानी इस्लामिक बैंक के प्रबंधक मीडिया कर्मियों के साथ

बयारा गांव के बैतुल माल यानी इस्लामिक बैंक के प्रबंधक मीडिया कर्मियों के साथ

सिद्धार्थनगर। जिला हेडर्क्वाटर से तकरीबन 60 किमी दूर डुमरियागंज के बयारा गांव में स्थापित इस्लामिक बैंक लोगों के लिए मिसाल बनता जा रहा है। यह अनोखा बैंक सूद आधारित कोई लेन देन नहीं करता है। गरीब की बेटी की शादी हो या किसान की जरूरत, बैंक हमेशा मदद को आगे रहता है।

महज कुछ हजार रुपये से तकरीबन 15 साल पहले बैतुलमाल सोसाइटी यानी इस्लामिक बैंक की स्थापना की गई थी। बैतुल माल की स्थापना का मकसद गरीबों की मदद करना था। उनकी जरूरत के मुताबिक उन्हें बिना ब्याज के कर्ज दे कर उनकी मुश्किलों को आसान करना था।

बैतुलमाल के पास आज एक करोड़ की पूंजी है। इससे वह गरीबों, मिस्कीनों को कर्ज और अनुदान दोनों देता है। दस सदस्यों के साथ स्थापित होने वाले बैतुलमाल के आज 18 सौ सदस्य है। इसमें दो सौ से अधिक हिंदू समाज के भी हैं।

बैंक में कर्ज या अनुदान धर्म के आधार पर नहीं दिया जाता। कर्ज के लिए केवल गारंटी ली जाती है। बैंक का काम भी कुछ लोग निशुल्क करते हैं। बताया जाता है कि बैतुल माल को मिलने वाले दान की रकम को गरीब को अनुदान के रूप में दिया जाता है।

बैतुलमाल बयारा काजी की पूंजी आज तकरीबन एक करोड़ है। इसका हर साल अच्छा खासा ब्याज मिलता है। ब्याज की रकम को बैतुल माल के जिम्मेदारान उस वर्ग के गरीबों को बांट देते, हैं जो ब्याज के लेनदेन को नाजायज नहीं मानते हैं।

वर्तमान में बैतुलमाल के प्रबंधक पूर्व प्रिंसपल फरीद अब्बासी साहब हैं। उनकी लीडरशिप में बैंक ने काफी तरक्की की है। यह इस्लामिक बैंक अब लोगों के लिए मिसाल बनता जा रहा है।

बैंक के एक वर्कर आरिफ उस्मानी का कहना है कि अगर बैतुल माल के तर्ज पर गांवों में इस तरह की सोसाइटी चलने लगे तो गरीब लोगों की बहुत सारी समस्याएं हल हो जाएंगी। उन्होंने बताया कि शादी-ब्याह, खेती के सीजन पर यह गरीब लोगों को कर्ज या बेहद गरीब लोगों को अनुदान देकर बैतुल माल बड़ा काम कर रहा है।

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