उठान से पहले ही बाजार में बिक जाता है आंगनबाड़ी बाल पोषाहार
मुकेश धर दुबे
मिठवल, सिद्धार्थनगर। विकास खंड मिठवल के आंगनबाडी केन्द्रों पर बाल पोषहार व हाटकुक योजना केवल कागजी बनकर रह गयी है। सूत्रों की माने तो अच्छी कीमत में पशु पालकों द्वारा बाल पोषहार उठान से पहले ही रिजर्व कर लिया जाता है। इसके एवज में आंगनबाड़ी कार्यकत्री को अच्छी रकम मिल जाती है। इस रकम का कुछ हिस्सा बाल विकास परियोजना के जिम्मेदारों को भी दिया जाता है।
सरकार द्वारा कुपोषित बच्चों एवं नौनिहालों के लिए गांव स्तर पर केन्द्र खोल कर 0 से 5 वर्ष के बच्चों को हाटकुक व तमाम प्रकार के लाभ देने के लिए इन केन्द्रों का संचालन किया गया है। मगर हकीकत कुछ और है।अगर जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा ब्लाकों का दौरा किया जाये तो बामुश्किल से एकाध ही केन्द्र मौके पर संचालित मिलेगा।इन योजनाओं को केवल कागजी कोरम पूर्ण कर चलाया जा रहा है।
बताते हैं कि अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में न तो केन्द्र खुलते हैं, न ही किसी बच्चों को पोषक आहार का वितरण किया जाता है। हाँ जब कभी कोई विशेष या शासन स्तर से पोलियो या कुपोषण आदि संबंधित निर्देश आता है तो एक दो घंटे आगनबाडी कार्यकर्ता उपस्थित रह कर अपना कोटा पूरा कर देती है। सिक्का, मध्यनगर, पैडी बुजुरग, पिपरपतिया, गौरा पचा, कोडराव नानकार, धर्म पुरवा, सिसई क्षेत्र के तमाम गावों में बाल पोषण केवल कागजी कोरम से पूर्ण किया जा रहा है।