डुमरियागंज के इर्द गिर्द मिल रहे गोवंशी अवशेष का राज क्या है? पुलिस गहराई से जांचे व दे कड़ी सजा
अभी गोमांस की पुष्टि नहीं, परीक्षण के लिए भेजा गया मांस, फिर खुलेगी, पुलिस जांच करे और अपराधी को कठोरतम सजा दिलाये
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। रविवार को भवानीगंज थाना क्षेत्र के ग्राम चौरा बनगवा के सिवान में सरयू नहर के रेगुलेटर में फंसे एक बोरे में कथित गोवंश के मांस व अन्य अवशेष मिले। गोमांस से सम्बंधित अपराघी पकड़ा नहीं गया है अन्यथा सच्चाई सामने आ सकती थी। इस संबंध में थानाध्यक्ष अमित कुमार ने बताया कि बोरी में मांस किसी पशु का लग रहा था केस पंजीकृत कर मांस का परीक्षण करने के लिए भेज दिया गया है। यानी अभी परीक्षण के बाद तय होगा कि मांस किस जानवर का था?
घटना स्थल राजनीतिक दृष्टिकोण से विधानसभा क्षेत्र डुमरियागंज का पश्चिमी हिस्सा है। दरअसल डुमरियागंज विस क्षेत्र डुमरियागंज नब्बे के दशक से संवेदनशील होता जा रहा है। डुमरियागंज तहसील मुख्यालय के 10 किमी दायरे में अक्सर कही न कही मांस अथवा जानवरों के अवशेष मिलने की घटनाएं देखी जाती रही है। ऐसी हर घटना को कतिपय तत्वों द्धारा मीडिया के माध्यम से संगठित रूपप्रचारित करा दिया जाता है। परन्तु बाद में जब परीक्षण रिपोर्ट आती है तो उसे प्रचारित नहीं कराया जाता। लिहाजा लोगों के दिमाग से गोमांस की बात निकल नहीं पाती और वह घटना मिथक और धारणा के रूप में प्रचारित होती रहती है। चौरा बनगवा के पास रेगुलेटर में मिले मांस को भी कथित रूप से गोमांस कहा गया। यही बात अखबारों में भी छपी।
ऐसे ही कुछ दिन पहले डुमरियागंज के माली मैनहा में में भी किसी पशु के अवशेष को भी गांवंश का बताया गया। इस गांव में पहले भी ऐसी घटनाएं घट चुकी हैं। परन्तु परीक्षण रिपोर्ट में क्या गया, किसी को नहीं मालूम। लेकिन मैनहा में गोवंशी अवशेष मिलने की चर्चा आज भी होती रहती है। इससे एक समुदाय पर अक्सर अंगुलियां उठने लगती हैं। इस प्रकार यह धारणा कायम हो गयी या कर दी गयी है कि कहीं भी मांस का एक लोथड़ा अथवा कुछ हडि्डयां मिल जायें तो उसे गोवंशी मान लिया जाता है। कोई भी यह सोचने की जरूरत नीं करता कि यह किसी मृत जानवर का मां भी हो सकता है। या साजिशन रखवाया जा सकता है।
वास्तव में कहीं भी मांस का टुकड़ा मिलने पर उसे गोवंश करार देना अथवा किसी भी मस्जिद के मीनार को आईएसआई का एंटिना बता देने की धारणा डुमरियागंज क्षेत्र में बलवती होती जा रही है। निष्पक्ष टिप्पणीकारों का कहना है कि अब पुलिस को ऐसे मामलों की गहराई से जांच करनी होगी। अगर बरामद मांस गोवंशी हो तथा उसका मकसद भक्षण करना हो तो उसके अपराधी को कठोर दंड मिलना चाहिए, लेकिन यह कृत्य अगर किसी आसामाजिक तत्व ने सामाजिक सौर्हाद्र बिगाड़ने के लिए किया हो तो उसे और भी कड़ी सजा मिलनी चाहिए। हमे यह भी नहीं भूलना चााहिए कि ऐसे कृत्य राजनीतिक उद्ेश्य के लिए भी किसी दल अथवा उसके समर्थक द्धारा अंजाम दिया जा सकता है।