बांसी में जय प्रताप के किले को भेदने की तैयारी में सपा
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। बांसी विधान सभा सीट पर जिला बनने के बाद हुए सात चुनाव मेें दूसरी बार विपक्षी का हल्लाबोल तगड़ा हो रहा है। भाजपा विधायक के खिलाफ कागजी आकड़े काफी मजबूत हैं, अगर उनसे जरा भी चूक हुई तो 8वें चुनाव में उनका किला ढह सकता है।
जय प्रताप का सियासत में आगमन 1989 में निर्दल राजनीति से हुआ था। 91 के चुनाव में बमुश्किल जीतने के बाद वह लगातार पांच बार विधायक रहे, लेकिन 2007 में वह छठा चुनाव सपा उम्मीदवार लालजी यादव से 2514 वोंटो से हार गये। 2012 का चुनाव उन्होंने पुनः 2900 वोंटो से जीत लिया। उल्लेखनीय है कि लगातार भारी वोंटो से जीतने वाले जय प्रताप को पिछले तीन चुनाव से बराबर की टक्कर मिल रही है।
इस बार हालात खिलाफ हैं
2017 के चुनाव में सियासी हवा भाजपा के जय प्रताप सिंह के मुखालिफ है। बांसी क्षेत्र में ब्राहमण, लोधी व निषाद मतदाता हमेशा से उनके साथ रहें हैं, मगर इस बार इन्ही मतदाताओं में विरोध के स्वर उठ रहें हैं। जय प्रताप सिंह इनको कैसे कन्ट्रोल करेंगे, यह उनकी रणनीति पर निर्भर है फिलहाल तो तीनों समुदायों में हवा उनके खिलाफ दिख रही है।
गणित बिगड़ने का कारण
इस सीट पर इस बार बहुजन समाज पार्टी ने निषाद जाति के उम्मीदवार को टिकट दिया है। बसपा उम्मीदवार लालचन्द निषाद एम.एल.सी. और बसपा के पुराने नेता हैं। उनके टिकट की घोषणा के बाद निषाद समुदाय उनके पक्ष में लामबंद हो रहा है। इसके अलावा लोधी समाज में भी एक सजातीय उम्मीदवार दिया है। जाहिर है कि वह भी कुछ वोट निकालेगा ही। ऐसे में नजदीकी चुनाव में जय प्रताप को कठिनाई होगी।
ब्राहमण समाज भी नाराज
जय प्रताप सिंह को पिछले सात चुनाव में 14 प्रतिशत ब्राहमण मतों का भरपूर समर्थन मिलता रहा है, मगर पहली बार विप्र समाज में नाराजी देखी जा रही है। दरअसल इसका बड़ा कारण ब्राहमणों की राजनीतिक उपेक्षा है। इसके अलावा ब्राहमण समाज में यह भावना पनफ रही है कि जय प्रताप सिंह इस समाज का राजनीतिक दुरूपयोग कर रहे हैं।
क्षेत्र के जागरूक ब्राहमण अच्यूतानन्द पाण्डेय का कहना है कि हमने सदा भाजपा का समर्थन किया, लेकिन जयप्रताप हो या कोई भाजपा नेता, किसी ने ब्राहमणों के लिए कुछ नहीं किया ऐसे में परिर्वतन करके देखने में गलत क्या है। लोधी समाज के नेता विजय सिंह लोधी कहते है कि भाजपा में न कल्याण सिंह की वैल्यू रह गयी, न ही लोधियों की। इस लिए इस बार हमने अपना उम्मीदवार खड़ा किया है।
जय प्रताप को सोचना होगा
जाहिर है कि तीनों समुदायों की भावनाएं इस बार भाजपा के खिलाफ जा रही हैं। तीनों समुदायों में आखिर भाजपा से इतनी विरक्ति क्यों है, इसकी वजह जानने की जरूरत हैं। इसे जान कर ही भाजपा को इनसे ताल मेल बैठाना होगा। वरना बांसी में समाजवादी पार्टी को रोक पाना कठिन होगा। अब यह भाजपा उम्मीदवार पर निर्भर है कि वह अपने रणनीति कैसे बनाते हैं।