आतंकी मामलों से बरी गुलजार वानी और मुबीन मलिक को मुआवजा दे सरकार– कोर्ट
नजीर मलिक
“यूपी के बाराबंकी जिले की एक अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शोधार्थी गुलज़ार अहमद वानी व डा. मुबीन मलिक को मुआवज़ा देने का निर्देश दिया है। गुलज़ार को वर्ष 2000 के साबरमती एक्सप्रेस विस्फोट मामले में 16 साल और मुबीन को 8 साल जेल में बिताने के बाद इसी सप्ताह आरोप मुक्त कर दिया गया है।”
अदालत ने योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार को जेल में गुज़ारे वानी व मुबीन के वक़्त के लिए उनकी शैक्षिक अहर्ता के साथ औसत आमदनी को देखते हुए उन्हें मुआवज़ा देने का निर्देश देते हुए कहा कि वह मामले में जांच कर रहे अधिकारियों की लापरवाही का शिकार हुए। इन्हें 30 जुलाई, 2001 को दिल्ली से गिरफ़्तार किया गया. उस समय वह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पीएचडी कर रहे थे।
अदालत ने जांच में उत्तर प्रदेश सरकार को उसके अधिकारियों की लापरवाही के कारण राज्य के ख़ज़ाने को पहुंचे नुकसान के लिए ज़िम्मेदार ठहराया। अदालत ने कहा कि अधिकारियों ने आरोपी पर मुक़दमा चलाने के लिए मंज़ूरी नहीं ली और अपने कर्तव्य से हटते हुए एक आरोप-पत्र दायर कर उनकी भौतिक आज़ादी का उल्लंघन किया और उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाया।
अदालत ने वर्ष 2000 में साबरमती एक्सप्रेस विस्फोट की कथित साज़िश रचने के आरोपों से वानी और मोहम्मद अब्दुल मुबीन को आरोपमुक्त करते हुए यह फ़ैसला सुनाया। विस्फोट में नौ लोगों की जान गई थी और कई अन्य घायल हुए थे। अदालत ने कहा कि पुलिस ने यह साबित करने के लिए कोई सबूत पेश नहीं किया कि दोनों ने अन्य लोगों के साथ मिलकर ट्रेन में विस्फोट की साज़िश रची और देश के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ा। गौरतलब है कि अदालत ने कहा है कि गुलज़ार वानी और मुबीन की शैक्षणिक योग्यता के आधार पर उनका मुआवज़ा तय किया जाए।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एमए खान ने हिंदी में अपने फ़ैसले में कहा कि अगर सरकार को लगे तो वह संबंधित पुलिस अधिकारियों से मुआवज़ा राशि हासिल कर सकती है। अदालत ने कहा कि अगर सरकार मुआवज़ा नहीं देती है तो वानी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख़ करने की आज़ादी होगी। वानी के ख़िलाफ़ कुल 11 मामले दर्ज कराए गए थे जिसमें से 10 में उन्हें या तो आरोप मुक्त या बरी कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस साल अप्रैल में वानी को ज़मानत देते हुए कहा था कि उन्हें 16 साल से ज़्यादा समय जेल में रहना पड़ा और 11 मामलों में नौ में आरोपमुक्त हुए।
अदालत ने दोषी पुलिस अधिकारियों के ख़िलाफ़ उचित क़दम उठाने का निर्देश दिया और कहा कि फ़ैसले की एक प्रति ज़िलाधिकारी, बाराबंकी और राज्य सरकार के गृह सचिव को भेजी जाए। विस्फोटक और दोषी ठहराए जाने वाले कथित साक्ष्यों के आधार पर 2001 में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ़्तार वानी जम्मू कश्मीर में श्रीनगर के पीपरकारी इलाक़े तथा मुबीन मलिक सिद्धार्थनगर जिले के डुमरियागंज के बगहवा गांव के रहने वाले हैं।
बता दें कि स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर कानपुर के निकट साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में विस्फोट हुआ था, जो मुजफ़्फ़रपुर से अहमदाबाद जा रही थी। घटना में नौ लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हुए थे। इसके अलावा कई बम ब्लास्ट कराने के आरोप भी उन पर थे। जिसे कोर्ट ने फर्जी मानते हुए उन्हें रिहा किया।
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