डीएम साहबǃ शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार के चलते करोड़ों कमाते हैं घाघ कर्मी?
बेसिक शिक्षा विभाग में प्रति वर्ष आती है 10 करोड़ की किताबें, जिन्हें बच्चों में बांटने के बजाये कबाड़ी के हथों बेंच दिया जाता है
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। 15 लाख की सरकारी किताबें कबाड़ी के हाथों रद्दी के भाव बेचे जाते समय चार लोगों के पकडे जाने के मामले ने जिला बेसिक शिक्षा विभाग में पैठ चुके भ्रष्टाचार की पोल खोल दिया है। इस मामले के खुलासे के बाद विभाग में 10 करोड़ की किताबों की खरीद फरोख्त में बड़े भ्रष्टाचार की आशंका देखी जा रही है।
सोमवार को बीआरसी बांसी में रखी 8 कुंतल नई किताबें कबाड़ी के हाथ बेचते पकड़ गईं। यह दस रुपये किलों की दर सक बेची गईं थीं। कक्षा एक से आठ तक के बच्चें में फ्री बंटने के लिए आई इन किताबों का मूल्य 10 से 12 लाख रुपये बताया जाता है, लेकिन रद्दी के भाव में कबाड़ी के हाथ यह किताबें मात्र 80 हजार में बेंच दी गई। इस मामले में दो कबाड़ी गोपाल और जतिन तथा द्वदि विभाग के दो कर्मी शहाबुदृदीन व रामजस को गिरफ्तार किया गया। साफ है कि सारी किताबें बच्चों को फ्री बांटी जानी थी, ताकि गरीबों के बच्चे सरकारी स्कूलों में आराम से पढ़ सकें। लेकिन शिक्षा विभाग में बैठे घाघ कर्मीं गरीबों के हक पर डाका डाल कर अपना बैंक बैलेंस बढ़ाने में लगे हैं। छानबीन की जाये तो बीआरसी में लगे अनेक कर्मी ऐसे मिलेंगे जिन्होंने अध्यापक के वेतन मान के बावजूद नौकरी के दो-चार वर्षो में ही शानदार कोठियां और भारी बैंक बैलेंस खड़ा कर लिया है।
कैसे कमाते हैं यह भ्रष्टकर्मी
आइये देखते हैं कि यह कर्मचारी कैसे कमाते हैं इतनी बड़ी रकम? दरअसल बेसिक शिक्षा विभाग ने जिले के सभी 14 ब्लाकों में बीआरसी ( ब्लाक संसाघान केन्द्र) बना रखे हैं। इन चौदह केन्द्रों पर बच्चों में निःशुल्क वितरण के लिए साल में औसतन 50 लाचा रुये की पुस्तके आती हैं। इन किताबों को स्कूलों पर भेजने के लिए ट्रक भाड़ा अलग से आता है। अब भ्रष्ट व ईमान बेच चुके कर्मी इन किताबों को स्कूलों पर भेजने के बजाये कबाड़ी के हाथ बेंच देते हैं तथा भाड़े की रकम को भी फर्जी बिल बाऊचर पेश कर हड़प लेते हैं। कहते हैं कि इस भ्रष्टाचार में ऊपर से नीचे तक हिस्सा होता है। यही कारण है कि इससे सम्बन्धित शिकायतों की गंभीरता से जोच नहीं होती है। शिक्षा विभाग के एक सू़त्र का कहना है कि यदि मामले की जाच हो जाये तो जिले कासबसे बड़ा घोटाला सामने आयेगा। सूत्र का यह भी कहना है कि इस की जांच वर्तमान कलक्टर साहब द्धारा ही संभव है। क्योंकि उनकी निष्ठा प्रमाणिक है पर जनता को उन पर विश्वास भी है।
बीआरसी जाने के लिए लगाते हैं जुगाड़
शिक्षा विभाग में बीआरसी के इस भ्रष्टाचार को देख कर अनेक भ्रष्टकर्मी अपनी नियुक्ति स्कूलों के बजाये बीआरसी पर कराने के जुगाड़ में रहते हैं। इससे पूर्व जिले में सर्व शिक्षा अभियान का भी यही हाल हुआ था। जिसमें इस अभियान से जुड़ा एक बाबू काफी कुख्यात हुआ था। बीआरसी में भी कुछ लोग आज ऐसे ही चर्चित हो चुके हैं। कहते हैं कि बेसिक शिक्षा देश के भविष्य की बुनियाद है, लेकिन कतिपय भ्रष्ट तत्व दीमक की तरह जिले में यह बुनियाद ही चाट कर रहे हैं। ऐसे में जिलाधिकारी ही कुछ कर सकते हैं ऐसा अनेक लोगों का मानना है।
बीएसए का जवाब, जांच की जा रही है
इस बारे में बेसिक शिक्षा अधिकारी काजवाब भी एक दम रूटीन वाला है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी देवेन्द्र कुमार पांडेय पत्रकारों के पूछे जाने पर पिटे पिटायेशब्दों मेंकेवल इतना कहते हैं कि मामले की जांच की जा रही है।रिपोर्ट आने पर कार्रवाई की जायेगी।ऐसा तो वे कह जरूर देते हैं। मगर यह तो हर विभागीय हेड का रूटीन जवाब होता है।दो दिन में केस ठंडा होगा तो सब कुछ भूल जायेगा।इसलिए जरूरी है कि वह सभी बीआरसी की बिंदुवार जाच करें, ताकि पता चल सके की उनके किस बीआरसी पर क्या क्या खेल खेला जा रहा है?