बेसिक शिक्षा विभाग का भ्रष्टाचारः भीलों ने लूट लिया वन, राजा को खबर तक नहीं
—अपने ही बाबू की प्राइवेट कार पर सवार बीएसए खोखला कर रहे शिक्षा विभाग
— समायोजन के नाम पर महिला टीचरों से की जा रही है जम कर धन वसूली
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। जिले की बेसिक शिक्षा विभाग में लूट का बाजार गर्म है। ताजा खुलासे के अनुसार जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अपने ही विभाग के एक बाबू के वाहन का नियम विरुद्ध विभाग के लिए अनुबंधित कर सरकार को चूना लगा रहे हैं। इसी के साथ वह समायोजन को लेकर भी सुर्खियों में बने हुए हैं। समायोजन के नाम पर महिला टीचरों से जबरदस्त धन वसूली की जा रही है। जिले लेबिल पर हो रही इस लूट पर प्रदेश का शिक्षा महकमा चुपा बैठ हुआ है।
कैसे अनुबंधित कर लिया कार
बताया जाता है कि बेसिक शिक्षा अधिकारी मनीराम सिंह जिस कार से चलते हैं वह शिक्षा विभाग के एक बाबू की है जो उसके परिजन के नाम से रजिस्टर्ड है। यह कार विभाग के नाम से अनुबंधित है। इसका किराया कौन लेता है, यह चर्चा का विषय है। सूत्रों का कहना है कि किराया साहब ले लेते हैं और बदले में बाबू को कई स्कूलों का वित्तीय चार्ज दे रखा है। जिससे उस बाबू को लूट की छूट मिली हुई है।
इस बारे में एआरटीओ का कहना है कि किसी निजी कार को विभाग भाड़े पर अनुबंधित करने का अधिकारी नहीं है। उन्होंने भी माना की यह वित्तीय गडत्रबड़ है। जरूरत पर उन्होंने इसकी जांच की बात कही। बताया जाता है कि बाड़े के नाम पर यह खेल २०१२ से खेला जा रहा है और अभी तक किसी उच्च अधिकारी ने इसपर ध्यान नहीं दिया।
समायोजन के नाम पर महिला टीचरों
की जा रही लूट कोई सुनने वाला नहीं
बेसिक शिक्षा विभाग में एकल स्कूलों में समायोजन के नाम पर खुल कर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। जो टीचर पैसा नहीं देना चाहते खास कर महिलाओं को दूर दराज के स्कूलों में भेज कर फिर वसूली कर उन्हें आसान विद्यालय दिये जा रहे हैं। हटाने और नियुक्ति का यह खेल विभाग की समायोजन लिस्ट से पुष्ट भी होता है।
जनपद के बंद और एकल स्कूलों के लिए पिछले दिनों विकल्प पत्र भरवाये गये और खुद बीएसए ने काउंसलिंग भी की। मगर जब समायोजन की बात आई तो वहां अधिकतर महिला टीचरों की तैनाती कर दी गई। इससे महिला टीचरों में असुरक्षा की भावना बढी। जिन टीचरों ने मुहमांग पैसा दिया उन्हें दुबारा करीब केस्कूलों पर तैनात कर दिया गया शेष भगत रही है।
कई महिलर टीचरों ने बताया कि तमाम सबल और प्रभावशाली शिक्षक अपने निवास स्थलों से चंद कदमों की दूरी पर तैनात है, जबकि महिलाओं को दूर दराज और आवागमन के साधन से दूर के स्कूलों में भेज दिया गया। उनका कहना है कि सरकार महिलाओं की सुरक्षा के लिए चिंतित रहती है। नौकरी में उनके लिए नियम भी शिथिल रहते हैं परन्तु यहां महिला होने के कारण उनका आर्थिक शोषण किया जा रहा है।
इस बारे में हालांकि बेसिक शिक्षा अधिकारी तनीराम सिंह का कहना है कि सारे आरोप निराधार है। सब कुछ कनून कायदे से चल रहा है। मगर स्कूल के दस्तावेज उनके दावे की पोल खोलते हैं। शिक्षा विभाग के दस्तावेज देखने से पता चलता कि अनेक स्कूलों पर प्रभावशाली अध्यापक पांस से दस वर्षों से डटे हुए है, लेकिन परेशान केवल महिला टीचरों को किया जा रहा है।