बसपा प्रत्याशी में हो सकता है फेरबदल, अमर सिंह चौधरी हो सकते हैं छुपे रुस्तम
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। राजनीति में कब क्या हो जाये, कोई नही बता सकता। अब इसी खबर को लीजिए। सिद्धार्थनगर से लखनऊ तक के राजनीतिक गलियारों में यही चर्चा है कि बसपा आने वाले दिनों में अपना प्रत्याशी बदल कर शोहरतगढ़ पूर्व विधायक अमर सिंह चौधरी के नाम का एलान कर सकती है। हालांकि तीन दिन पहले ही उसने ख्वाजा शमसुद्दीन को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। राजनीति की इन उलटी पुलटी चालों को देख कर किसी नेलिखा है किः-
तमाम शहर के लड़कों को कर दिया बरबाद
हमारे घर की सियासत अजब तवायफ है।
क्यों बदल सकता है टिकट?
राजनीतिक हल्कों में पिछले 24 घंटों से सह चर्चा गूंज रही हैकि बसपा तीन दिन पूर्व घोषित किये गये अपने प्रत्याशी ख्वाजा शमसुद्दीन को बदलने जा रही है। हालांकि बहुजन समाज की जिला इकाई के किसी नेता ने अब तक इसकी पुष्टि नहीं की है। मगर जानकार बताते हैं कि खबर पूरी तरह से सही है। वर्तमान में पूर्व विधायक चौधरी अमर सिंह और बसपा के लखनऊ सूत्र के मध्य बातचीत चल रही है। उम्मीद है कि एक सप्ताह में उनकी उम्मीदवारी घोषित हो जायेगी। यदि दोनों पक्षों में बात नहीं बनी तो ख्वाजा शमसुद्दीन तो घोषित प्रत्याशी हैं ही।
बताया जाता है कि बसपा के केन्द्रीय नेतृत्त्व को यह बात अच्छी तरह समझा दी गई है कि लोकसभा सीट डुमरियागंज के 26 फीसदी मतदाता इस बार बसपा के मुस्लिम उम्मीदवार को भी वोट देने के मूड में नहीं है। इस सूचना को सच मानते हुए यहां से प्रत्याशी बदलने का निर्णय लिया गया है।
पुराने प्रत्याशी का फीडबैक ठीक नहीं
बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश में पहले चरण के चुनाव केलिए लगभग 10 सीटों पर चुनाव चल रहा है। ऐसे में बसपा को मिल रहे फीड बैक के अनुसार बसपा के मुस्लिम उम्मीदवारों को वोट देते नजर नहीं आ रहे हैं। ऐसे में बसपा को जीत हार की चिंता से ज्यादा परेशानी अपने पुराने वोट प्रतिशत को बरकरार रखने की है। बसपा सूत्रों के अनुसार अमर सिंह प्रत्याशी बन कर अपना जातीय वोट भी पा सकते हैं। इससे परिणा चाहे जो हो बसपा का मत प्रतिशत बरकरार रह सकता है। यही अमर सिंह की प्रत्याशित का मूल आधार है। इसलिए बसपा के टिकट बदलने की संभावनाओं से इंकार भी नहीं किया जा सकता है।
टिकट बदलने से बदलेंगे समीकरण
अब सवाल है कि बसपा का टिकट बदले जाने पर चुनाव के राजनीतिक समीकरण क्या होंगे? तो जवाब साफ है कि यदि चौधरी अमर सिंह को टिकट मिला तो सजातीय कुर्मी वोटों सहित अति पिछड़ा वर्ग के वोट भी अमर सिंह की तरफ जा सकते हैं।जिले में वोटरों का यह दोनों वर्ग भाजपा समर्थक रहा है। ऐसे में यह पूरी तरह स्पष्ट है कि अमर सिंह की प्रत्याशिता से भाजपा का चुनावी समीकरण कमजोर होगा। इसी प्रकार पहले ही लिखा जा चुका हैकि ख्वाजा शमसुद्दीन प्रत्याशी बने रहे तो वह जितना भी सजातीय वोट काटेंगे सपा प्रत्याशी उतना ही कमजोर होगा। ऐसे में सात दिन संशय के रहेंगे। इसी में पता चल जायेगा कि बसपा से अंतिम व फाइनल प्रत्याशी कौन होगा, ख्वाजा शमसुद्दीन अथवा चौधरी अमर सिंह।