hormony-भाईचारे की भावना के तहत जावेद भाई ने दिया था सिद्धार्थनगर के पहले दूर्गा मंदिर के लिए जमीन
संजीव श्रीवास्तव
गंगा जमुनी तहजीब वाले इस मुल्क में भाई चारे की अनेक मिसालें मिलती हैं। सिद्धार्थनगर जिला मुख्यालय पर बेलहिंया के पास बना दूर्गा मंदिर भी इसकी मिसाल है। इस मंदिर के लिए जमीन एक अल्पसंख्यक जावेद भाई ने दी थी। आज यह मंदिर शहर की षान बना हुआ है। केवल दुर्गा मंदि ही नहीं जिले की तमाम विरासतें यहां की गंगा जमुनी तहसीब की बेमिसाल दास्तान बनी हुई हैं।
सिद्धार्थनगर जनपद मुख्यालय से सटे बेलहिया स्थित दुर्गा मंदिर का इतिहास खंगाला जाये, तो इसके पीछे भी समाजिक समरसता की मीठी सुगंध ही मिलेगी। इस मंदिर के लिए भूमि देने का कार्य 80 के दशक में एक अल्पसंख्यक जावेद भाई ने किया था। उसके बाद यहां दुर्गा मंदिर बना और आज यह मंदिर हिन्दू जन-मानस की आस्था का प्रमुख केन्द्र बन गया है।
दरअसल वह दुर्गापूजा मनाये जाने का शुरुआती दौर था। शहर में कोई दुर्गा मंदिर नहीं था। मुख्य सड़क पर जमीनों की कीमत बढ़ रही थीं। जमीन एक बड़ी समस्या थाी। ऐसे में थरौली गांव के जावेद अहमद ने यह काम करने का मन बनाया। उन्होंने मंदिर के लिए निशुल्क जमीन दे दी।
चूंकि इस कस्बे के दक्षिणी हिस्से में तब कोई मंदिर नहीं था। इसलिए अतीत में दुर्गा प्रतिमाएं बेलसड़ बाग मस्जिद के पहले तक आती थी। मंदिर बनने के बाद दुर्गा भक्तों ने प्रतिमाओं को मंदिर तक ले जाने का प्रयास शुरु किया, मगर इसमें थाने का पूर्व का समझौता आड़े आ रहा था।
इस बाधा को दूर करने में सईद भ्रमर जैसे एक अल्पसंख्यक नेता आगे आये और उन्होंने दोनों धर्मो के बीच एक नया समझौता कराकर दुर्गा प्रतिमाओं के डोलों का बेलहिया स्थित दुर्गा मंदिर तक ले जाने मार्ग बनाया था। दुर्गा मंदिर तो हिन्दू मुस्लिम एकता की एक बानगी भर है।
जिले के डुमरियागंज तहसील क्षेत्र का भगवानपुर- अल्लापुर गांव, बिस्कोहर स्थित मंदिर और मस्जिद की आपस में मिली दीवारें आदि आज भी साम्प्रदायिक सौहार्द्र और भाईचारे की गवाह है। इस बारे में बेलहिया स्थित दुर्गा मंदिर के पुजारी प. सुनील कुमार मिश्रा ने कहा है कि जावेद भाई ने जो कार्य किया, उस पर आज अमन के भक्तों का गर्व है।
उन्होंने कहा कि सिद्धार्थनगर में तमाम मुस्लिम आज भी इस तहजीब को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। उनका कहना है कि तमाम मुस्लिम मंदिर पर आते है और प्रसाद ग्रहण करते है। सिद्धार्थनगर के गंगा-जमुनी तहजीब के इस संदेश को लोगों को ग्रहण करना चाहिए और कदम से कदम मिलाकर देश की तरक्की में योगदान करना चाहिए।