बाप का बोझ बांटने निकला 20 साल का शफीक खुद ही बन गया गम का बोझ, मौत से कोहराम
सरताज अलम
शोहरतगढ़, सिद्धार्थनगर। उपनगर शोहरतगढ़ में बुधवार की शाम सरदार हुसैन के घर उनके जवान बेटे शफीक की लाश पहुंची तो घर में कोहराम मच गया। उनके मुहल्ले बेनी नगर के सैकड़ों लोगों का हुजूम घर के सामने जमा हो गया। मकान अंदर से महिलाओं की तेज आवाज में रोना और करूण क्रंदन ने बाहर खड़े हुजूम की आखों को भी नम कर दिया। सभी को इस बात का गम था कि घर के इकलौते कमाऊ बेटे की मौत के बाद मां बाप का जीवन कैसे कटेगा।
अपने कमजोर हाथों में 20 साल के बेटे शफीक की लाश उतार कर उन्होंने जैसे ही मकान के बाहर खाट पर रखा, यकायक घर के अंदर की सिसकियां चीखों में बदल गईं। यह दृश्य देख खुद सरदार हुसैन भी अपने को संभाल न सके और कई दिनों का धैर्य टूट गया। परिवार को संभालने के बजाय वे स्वयं भी फफक उठे। शफीक की अभी शादी भी नहीं हुई थी। परिवार का आर्थिक बोझ बांटने के लिए उसने 19 साल की उम्र में गुजरात के शहर सूरत को ठिकाना बना कर काम करना शुरू कर दिया था।
बहरहाल तीन दिन पूर्व हुई मौत के बाद शव को अधिक देर तक रोकना उचित न था। इसलिए तत्काल लाश को नहलाने के बाद उसके जनाजे को कब्रिस्तान ले जाया गया जहां रात 9 बजे के आसपास उसे सिपुर्दे खाक कर दिया गया। कब्रिस्तान में भी भारी हुजूम था। सभी के हाथ दुआ के लिए उठे जरूर थे, मगर आखें नम और आंसुओं से भरी हुई थीं।
बता दें कि शोहरतगढ़ कस्बे के बेनी नगर निवासी 20 वर्षीय शफीक हुसैन पुत्र सरदार हुसैन गुजरात राज्य के सूरत में रोजी रोटी कमाने के लिए रहता था। 27 मई रात्रि में खटोदरा थाना क्षेत्र में वह सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गया था। जहां सोमवार 29 मई रात्रि में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इसकी खबर मिलते ही परिजन रोने बिलखने लगे। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम मंगलवार को करवाकर शोहरतगढ़ से लाश लेने गये परिजनों के सुपुर्द कर दिया। बुधवार की शाम शफीक की लाश घर पहुंची, जिसे कुछ घंटों के अंदर ही विधि विधान के साथ दफना दिया गया।