भगोडे़ चिकित्सकों लिए कोई तो सजा तय कीजिए साहब! कब तक मरते रहेंगे मरीज
संजीव श्रीवास्तव
सिद्धार्थनगर के बीस सरकारी डाक्टर अस्पताल छोड कर सालों से फरार है। वक्त पर इलाज न हो पाने से अक्सर मरीज की जान जाने की घटनाएं सामने आती रहती हैं। लेकिन इन पर कार्रवाई के नाम पर पिछले कई सालों से शासन को पत्र भेजने के अलावा कुछ नही हो पा रहा है।
जानकारी के मुताबिक इस सूची में कठेला अस्पताल पर तैनात चिकित्सक डा. वी. के यादव अगस्त 2009 से अनुपस्थित है। भुतहवा में तैनात डा. संजय शाही अगस्त 2011, झकहिया में तैनात डा. कृष्ण कुमार और कनवा बाजार के डा. अशोक कुमार गुप्ता जून 2012, से गैर हाजिर हैं।
जोगिया के डा. अभिषेक तिवारी, विस्कोहर के डा. शफीक अहमद और अकरहरा में तैनात डा. शमीम अहमद जुलाई 2013, मधवापुर के डा. रणजीत पटेल मई 2013 से नौकरी से गायब हैं।
इसी प्रकार खेसरहा में तैनात डा. पारुल वर्मा नवत्बर 2014, बढ़नी चाफा की डा. नेहा सिंहा दिसम्बर 2014 और सोहना में तैनात डा. विशाल कुमार अगस्त 2014 से तैनाती स्थल पर नहीं दिखे हैं।
इसके अलावा बेवा के डा. मानवेन्द्र कुमार, समेरहना के डा. सुशील कुमार, अलीदापुर के डा. परवीन आनंद, चेतिया के डा. रजनीश चौधरी, लटेरा के डा. अभिषेक सिंह, मिठवल की डा निहारिका जून 2015, उसका बाजार के डा. संजय पटेल जुलाई 2015, इटवा की डा. सविता गुप्ता जनवरी 2015 और शोहरतगढ़ में तैनात डा. ज्योसना ओझा जनवरी 2015 से गायब हैं।
मुख्य चिकित्साधिकारी डा. अनीता सिंह ने इन भगोडे़ चिकित्सकों पर कड़ा रवैया अपनाते हुए इन सभी 20 डाक्टों की सूची महानिदेशक स्वास्थ्य डा. विजय लक्ष्मी को भेज दी है। सीएमओ का कहना है कि उच्चस्तर से निर्देश मिलते ही इन चिकित्सकों पर कार्रवाई की जायेगी।
याद रहे कि इस तार के पत्र व्यवहार अतीत में भी कई सीएमओं ने किये हैं, लेकिन षासन ने कभी किसी पत्र का संज्ञान नहीं लिया। इस पर नतीजा क्या निकलेगा, देखना बाकी है।