भाजपाः टिकट को लेकर जबरदस्त घमासान, सिद्धार्थनगर में सगे भाइयों के पेच में फंसा टिकट
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। निकाय चुनाव चरम पर हैं। नामांकन शुरु हो गये है, लेकिन सिद्धार्थनगर जिले की सभी निकाये के टिकट का पेच फंसा हुआ है। जिले के सारी निकायों में जहां असमंजस की स्थिति है, वहीं मुख्याल के अध्यक्ष पद की टिकट की जंग सगे भाइसों के बीच है, जिससे पूरा परिदृश्य रोचक और रोमांचक हो गया है।
बताया जाता है कि सिद्धार्थनर जिला मुख्यालय समेत जिले के डुमरियरगंज, बढ़नी, उस्का बाजार में भाजपा के टिकट की स्थिति साफ नहीं है। शोहरतगढ़ नगर पंचायत में हियुवा के सुभाष गुप्ता का टिकट पक्का है तो बांसी में अज्जू श्रीवास्तव का टिकट भी लगभग फाइनल है। लेकिन नगर पंचायत डुमरियागंज की चेयरमैन के पति मकसूदन अग्रहरि को वहां हियुवा नेता श्यामसुदर से कड़ी चुनौती मिल रही है। उम्मीद है कि अन्ततः वहां भी बाजी मकसूदन अगहरि के ही हाथ लगेगी।
सिद्धार्थनगर में भाइयों के बीच जंग
भ्ससजपा के लिए सबसे पेचीदा हालत सिद्धार्थनगर की सीट को लेकर है। यहां से लगाभग एक दर्जन दावेदारों के बीच से सिर्फ तीन लोगों का नाम पैनल में गया था। इनमें पूर्व पालिका अध्यक्ष घनश्याम जायसवाल, उनके भाई और कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी रहे श्याम बिहारी जायसवाल के साथ प्रेम प्रकाश श्रीवास्तव का था। गत चुनाव के प्रत्यशी रहे संजय सिंह का नाम पेनल में ही नहीं दिया गया था।
बहरहाल सूत्र बताते हैं कि चुनाव समीकरण के तहत प्रेम प्रकाश भी दौड से बाहर हो गये। क्योंकि बगल की बांसी सीट से उनके सजातीय अज्जू श्रीवास्तव का टिकट फाइनल हो रहा था। अब परिदृश्य सिमट कर कर सगे भाइयों के बीच आ गया। फिलहाल जंग इन्हीं दोनों के बीच है।
उल्लेखनीय है कि बड़े भाई घनश्याम जायसवाल नगरपालिका से दा बार चेयरमैन रह चुके है। एक बार उनकी पत्नी राधिका जायसवाल भी दस पद को सुशोथित कर चुकी है। शहर के मतदाताओं पर उनकी पकड़ से काई इनका नहीं। इसी के साथ उनके छोटे भाई श्यम बिहारी जायसवाल भी उनको कई बार चुनौती दे चुके हैं। लेकिन हमेशा अच्छा वोट पाकर पराजित हुए है। अभी वह भाजपा में नये नये शामिल हुये है और पार्टी में घनश्याम जायसवाल के विरोधी उनकी ताकत बने हुए हैं।
मिलेगी चौंकाने वाली खबर
खबर है कि भाइयों के बीच में की जंग में अपने को विजेता मान कर श्याम बिहारी ने शहर में जन्सम्पर्क शुरु कर दिया है। लेकिन बड़े भाई घनश्याम जायसवाल अभी लखनऊ में पार्टी कार्यालय में डंटे हुए है। उनका कहना है दावेदारी की टक्कर कांटे की है। वे टिकट के साथ ही घर लौटना चाहेंगे। वैसे इतना तय है कि दोनों भाइयों में जिसका भी टिकट कटा, वह बगावत कर चुनाव जरूर लड़ेगा, इसलिए किसी चौंकने वाली खबर के लिए भी मतदाता को तैयार रहना होगा।