प्रेमी से मिलने 16 साल की लड़की नेपाल सीमा पर पकड़ी गई, एएचटीयू को सिपुर्द की गई
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। पाकिस्तानी बाला सीमा हैदर को भारत और पाक के बीच की सरहदें भले ही न रोक पाई हों, मगर भारत की एक सीमा को प्यार की सरहद को तोड़ने से पहले ही भारतीय सुरक्षा प्रहरियों ने रोक दिया। ककरहवा बार्डर पर तैनात एसएसबी के जवानों ने सीमा को नेपाल जाने से उस समय रोक लिया जब वह नाबालिग होने के बावजूद अपने प्रेमी शहीद से मिनले नेपाल जा रही थी। आशंका है कि प्रेम के नाम पर मानव तस्कर उसे नेपाल बुला रहे थे। घटना रविवार सायं की है।
बताया जाता है कि ककरहवा सीमा क्षेत्र के करीब के एक भारतीय गांव की 16 वर्षीया सीमा (कल्पित नाम) अपने कथित प्रेमी से मिलने नेपाल जा रही थी, मगर शंका के आधार पर रोक कर एसएसबी ने उससे पूछताछ की तो प्रेम का मामला उजागर हुआ और उसे सीमा पार करने से रोक दिया गया।
बताया जाता है कि ककरहवा एसएसबी को सूचना मिली कि ककरहवा बार्डर के रास्ते एक भारतीय नाबालिग लड़की भारत से नेपाल जाने वाली है। सूचना प्राप्त होते ही सीमा चौकी ककरहवा के सीमा पिलर संख्या 544 के समीप चेक पोस्ट पर तैनात सहायक उप निरीक्षक केशव राम के नेतृत्व में मुख्य आरक्षी सुनील कुमार चौरसिया, आरक्षी राजेंद्र कुमार, आरक्षी यंदी रामकृष्णन, आरक्षी अनोखी, मीना अलर्ट हो गईं। इसके बाद नेपाल से भारत एवं भारत से नेपाल आने-जाने वाले व्यक्तियों की गहन रूप से जांच शुरू कर दी। इसी क्रम में चेक पोस्ट ड्यूटी पर तैनात जवानों ने देखा कि चेक पोस्ट के रास्ते एक नाबालिग लड़की भारतीय प्रभाग से नेपाल की तरफ जा रही है। संदेह के आधार पर जवान लड़की से पूछताछ करने लगे तो वह नेपाल जाने का सही कारण नहीं बता पा रही थी।
मामला संदेहास्पद प्रतीत होने पर मौके पर समवाय कमांडर एवं एएचटीयू 66वीं वाहिनी को सूचित कर बुलाया गया। महिला आरक्षी और मानव सेवा संस्थान की पूछताछ में लड़की ने बताया कि उसके बगल के गांव के निवासी शहीद ने उसे नेपाल में मिलने के लिए बुलाया है। वह अपने घरवालों को बिना बताए उस लड़के से मिलने नेपाल जा रही है।
मानव सेवा संस्थान के माध्यम से उक्त नाबालिग लड़की के बताए गए नंबर से उसके घरवालों के साथ संपर्क स्थापित करने का प्रयत्न किया गया। लेकिन संपर्क नहीं हो पाया। चूंकि लड़की नाबालिग थी तथा अपने घरवालों को बिना बताए शहीद नाम के लड़के के बहकावे में आकर नेपाल जा रही थी। इसलिए लिखा-पढ़ी करके एएचटीयू को सुपुर्द कर दिया गया।