लव मर्डर स्टोरीः अस्पताल से कैसे भागा प्रेमी उमेश, पुलिस स्टोरी में हैं कई झोल? गहन जांच जरूरी

July 20, 2024 12:46 PM0 commentsViews: 342
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कथित प्रेमी और अभियुक्त उमेश चौरसिया किस अस्पताल में रहा दाखिल और

पुलिस की निगरानी के दौरान कैसे भाग निकला, क्या सच्चाई कुछ और है

 

नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर।  लोटन कोतवाली के भुसौला अदाई  में प्रेमिका विनीता की हत्या और उसमें प्रेमी उमेश की गिरफतारी की पूरी घटना जितनी सनसनीखेज है उतनी ही नाटकीय भी है।  पुलिस की बताई स्टोरी में इतने झोल हैं कि सहसा विश्वास करने का जी नहीं करता है और लगता है कि पूरी घटना का ताना बाना बुनने के पीछे किसी शातिर दिमाग की साजिश है।

दरअसल गत 14 जुलाई को भुसौला अदाई गांव में  20 साल की विनीता (बदला हुआ नाम) का शव उसके कथित प्रेमी उमेश के घर में पाया गया था। उसी कमरे में जहर के प्रभाव में बेहोश उमेश भी मिला था। बाद मे विनीता की मां कही तहरीर पर बेहोश उमेश के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर बकौल पुलिस उसे अस्पताल में दाखिल करा दिया था। 19 को पुलिस के अनुसार वही उमेश अस्पताल से भागते हुए जोगिया उदयपुर थाने के एक गांव में पकड़ा गया। पुलिस का दावा है कि बुलाने के बाद दोनों में किसी बात को लेकर कहासुनी हुई। गुस्से में आकर आरोपी उमेश ने  विनीता का गला दबाकर उसे मार डाला था। पूछताछ करने के बाद आरोपी को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया, जहां से जेल भेज दिया गया।

पुलिस की थियरी यह हैं

जानकारी देते हुए सीओ सदर अरुणकांत सिंह ने बताया कि क्षेत्र के भुसौला अदाई गांव में 14 जुलाई को घर के कमरे में विनीता का शव मिला था। जबकि, उसका कथित प्रेमी उमेश जहरीला पदार्थ खाकर बेहोश पड़ा था। मृतका की मां ने उमेश चौरसिया भुसौला अदाई थाना लोटन पर बेटी को अपने घर में खींचकर ले जाकर हत्या कर देने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की थी।
तहरीर के आधार पर हत्या का केस दर्ज करके जांच की जा रही थी। हत्यारोपी को अस्पताल में इलाज चल रहा था। शुक्रवार को जानकारी मिली की वह भाग रहा है और जोगिया कोतवाली क्षेत्र के पिपरा पांडेय के पास है। सूचना को संज्ञान में लेते हुए पुलिस टीम ने उसे पकड़ लिया। पूछताछ के बाद न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया, जहां से जेल भेज दिया गया है। कार्रवाई एसओ लोटन अरविंद कुमार मौर्य की अगुवाई में की गई है।
बकौल पुलिस पकड़े गये अभियुक्त उमेश चौरसिया से पूछताछ करने पर बताया गया कि वह और विनीता लुक छिपकर बातचीत करते थे। 14 जुलाई को सुनीता मेरे घर आई और दरवाजा बंद करके आपस में बातचीत कर रहे थे कि बातचीत के दौरान हम लोगों के बीच कहासुनी हो गई। गुस्से में आकर सुनीता की गला दबा कर हत्या कर दी। इसके बाद खुद जहर खा लिया और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया, जिससे दोनों हमेशा के लिए खत्म हो जाएं। लेकिन इसी बीच पता नहीं कब दरवाजा खुला, हम अस्पताल पहुंचे इसकी जानकारी नहीं है।

गंभीर हैं यह सवाल

अब सवाल उठता है कि क्या पुलिस ने खुद ही उमेश के कमरे का दरवाजा खोला था या पहले से खुला था। दूसरी बात कि क्या विनीता को दिनदहाड़े उमेश द्धारा खींच कर ले जाते हुए गांव के किसी व्यक्ति ने देखा था। या केवल पुलिस ने तहरीर में लिखी बातों को ही ब्रह्म वाक्य मान लिया।  तीसरी बात आखिर वह कौन सी वजह हो सकती है जिसके कारण उमेश ने विनीता की हत्या कर दी। पुलिस ने काज आफ मर्डर पर जांच क्यों नहीं की।

सबसे अंतिम बात कि उमेश को पहले लोटन के अस्पताल ले जाया गया जहां से गंभीर हालत में उसे जिला अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल में उसके दाखिले के कोई सबूत नहीं हैं हां अओपीडी में ले जाने की इंट्री दर्ज है। बता दें कि जहर खाये मरीज को तत्काल अस्पताल में भर्ती कर उसका इलाज किया जाता है न कि उसे ओपीडी से छुट्टी दे दी जाती है।  फिर सवाल है कि अगर उमेश की हालत गंभीर थी तो वह किस जगह भर्ती रहा।  यहां सह भी बता दें कि कोई अभियुक्त अगर अस्पताल में भर्ती होता है तो वह पुलिस की निगरानी में होता है। ऐसे में उमेश कैसे भाग सकता था।

कुल मिला कर पुलिस की कहानी में बहुत झोल नजर आ रहा है। लगता है कि पुलिस ने घटना के बारीक पहलुओं की छानबीन नहीं की। अथवा किसी और कारण से मामले की लीपापोती कर अपना काम खतम कर लिया।

 

 

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