भुतहवा गांव की एक शादी बेमिसालः यानी मिले दिल से दिल जिंदगी मुस्करा दी
एक अजीमुश्शान व भव्य शादी मगर दहेज जैसी कुप्रथा से कोसों दूर, शादी में महाराष्ट्र, बिहार
से भी शिरकत करने पहुचीं कई बिजनेस व सियासी हस्तियां, दूल्हा दूल्हन को बख्शीं दुआएं
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। इटवा से बेलवा रोड पर एक सामान्य सा गांव है भुतहवा वहां सड़क के किनारे एक भव्य पांडाल लगा है। तकरीबन दो सौ वर्ग मीटर में लगे पांडाल में विभिन्न प्रांतों के आये सैकड़ों मेहमान-ए-खास के अलावा जिले के हजारों आमंत्रित मेहमान बैठे हैं। जुगुनू के मानिंद जग मग करते पांडाल में इतने अधिक मेहमान के बावजूद न शोर है न शराबा। बिलकुल किसी पांच सितारा होटन के लाउंज में में बैठ कर धीमे सुर में बात करते लोग किसी शानदार महफिल का मंजर पेश कर रहे थे। पांडाल में लाइव टेलीकास्ट में एक अनाउंसर हर आने वाले मेहमानों का परिचय बड़े सलीके से पेश कर रहे थे। पांडाल में “मुबारक हो दुल्हा दुल्हन की ये शादी- मिले दिल से दिल जिंदगी मुस्करा दी” जैसी ‘दुआए खुश्बू’ फिजां को मोअत्तर कर रही थी।
यह नजाकत भरा, दिलकश नजारा था भुतहवा निवासी अब्दुर्रऊफ चौधरी साहब की भतीजी की शादी का। रऊफ चौधरी साहब मुम्बई के एक सफल करोबारी ही नहीं सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। उनकी छवि मुम्बई में एक नौजवान गांधीवादी लीडर की है। गुरुवार शाम उनकी दुलारी भतीजी अर्थात भाई अब्दुल मन्नान चौधरी की बेटी निकहत जहां की बारात वहां से पांच किमी. दूर इटवा (पहांड़ापुर) से आई हुई थी। निकहत के निकाह की रस्म मोहम्मद मुकीम साहब के बेटे मोहम्मद अजीम खान से होनी थी। रात में 8 बजे के बाद जैसे ही निकाह की रस्म पूरी हुई, दुआ के लिए हजारों हाथ उठे और आमीन, सुम्मा आमीन की सदा फिजाओं में गूंजने लगीं। जैसे “मिले दिल से दिल जिंदगी मुस्करा दी” की दुआ की खश्बू चारों ओर बिखरी हुई हों।
इस शादी की सबसे बड़ी खासियत थी उसकी भव्यता में सादगी। कटलर खानयामा तक मुमबई के थे। कई तरह की डिश के लिए मैटेरियल मसलन समुद्री झींगा और बोनलेस फिश वगैरह सब मुम्बई से मंगाये गये थे। लेकिन इन सबसे बड़ी बात थी शादी की सादगी। कहीं कोई दिखावा नहीं। यहां तक कि इतनी भव्य शादी के बावजूद दहेज जैसी कुप्रथा कोसों दूर थी। किसी प्रकार की कोई लेन देन नहीं, न ही दिखावा जैसी किसी बात की झलक।
इस शादी मुबारक में दूल्हन (बेटी) निकहत और दूल्हे अजीम को मुबारक बाद देने के लिए मुम्बई से आलम निजामी, मुश्ताक शेख, नदीम खान, कुतबुल्लह खान, अकरम सेठ व अफरोज मलिक तथा बिहार से रहीमुदृदीन बाबा, तरून सिंह आदि बिजनेसमैन/उद्योगपति व सामाजिक व राजनीतिक शख्सियतें आईं हुई थीं। महाराष्ट्र में चल रहे चुनाव के कारण अन्य कई सियासी हस्तियां शमिल न हो सकीं। में मुकामी लोगों में पूर्व सांसद हाजी मोहम्मद मुकीम, पूर्व सांसद कुशल तिवारी, नेपाल के पूर्व सांसद अभिषेक प्रताप शाह, वरिष्ठ नेता इरफान मलिक, कांग्रेस नेता इसरार अहमद, सपा नेता जमील सिदृदीकी जिला पंचायत सदस्य इजहार अहमद, कमाल अहमद खान पूर्व जिला पंचायत सदस्य, इजहार अहमद गानगंगा, आरिफ मकसूद पत्रकार आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।