थरौली में सीधे ब्लाक प्रमुख के लिए हो रही जंग, दांव पर लगी सरपरस्तों की इज्जत
नजीर मलिक
बीडीसी वार्ड संख्या २–५ थरौली में बीडीसी का चुनाव कम, ब्लाक प्रमुख का ज्यादा हो गया है। इस वार्ड में ब्लाक प्रमुख पद के कई प्रत्याशियों के मैदान में उतर जाने से चुनाव बहुत रोचक हो गया है।
थरौली में हालांकि कुल आठ उम्मीदवार मैदान में है, लेकिन असली लडाई सिर्फ शफीक अहमद, सादिक अहमद और विपुल द्धिवेदी के बीच है। लेकिन जनता इन्हें डमी समझ कर, असली लडाई इनके सरपरस्तों के बीच मान रही है।
थरौली शहर से सटा हुआ वार्ड है। शफीक अहमद के छोटे भाई मुहम्मद जमील सिदृदीकी समाजवादी पार्टी के युवा सितारे और नगर पालिका सिद्धार्थनगर के चेयरमैन हैं। वह इस सीट पर बडे भाई को जिता कर उन्हें तोहफा देने के लिए सारी ताकत झोंके हुए हैं।
दूसरी तरफ सादिक अहमद जिले के कदृदावर नेता अली अहमद के बेटे हैं। अली अहमद के पास ४० साल का लंबा राजनैतिक तजुरबा है। जाहिर है कि अपने बेटे के लिए वह कोई भी सियासी दांव खेलने से नहीं चूकेंगे।
रही विपुल द्धिवेदी की बात तो वह जिले के मशहूर बोन स्पेशलिस्ट डा विमल द्धिवेदी के अनुज हैं। विमल द्धिवेदी का दायरा भी कम नहीं है। अपने पेशे की वजह से उनके भी सम्पर्क लंबे हैं।
तीनों ही प्रत्याशी बीडीसी का चुनाव जीत कर ब्लाक प्रमुख की जंग में उतरने का इरादा रखते हैं। इसलिए जंग यहां रोमांचक हो चुकी है। तीनों को पता है कि उनकी चूक उन्हें बडे पद से वंचित कर देगी। इसलिए वह एक अदना चुनाव में भरपूर संसाधन झोंक रहे हैं।
वैसे यह देखना दिलचस्प होगा कि इस वार्ड से सियासत जीतेगी या प्रोफेशनलिज्म? अगर लडाई सियासतदानों के बीच हुई, तो यह भी देखना होगा कि दोनों दिग्गजों में से किसका उम्मीदवार कामयाब हुआ है। किसी की हार जीत उसके सियासी मुकाम पर भी असर जरूर डालेगी, यह तय है। इसलिए दोनों सियासतदानों के लिए यह छोटा सा चुनाव बहुत अहम हो गया है।