डुमरियागंज सीटः बसपा उतार सकती है मुस्लिम प्रत्याशी, बढ़ गई सपा की बेचैनी
समाजवादी की असरदार के मिस्ट्री को बसपा की गणित लगा सकती है चूना, आठ से दस अप्रैल के बीच होगा दोनों उम्मीदवारों का एलान
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। डुमरियागंज सीट से बहुजन समाज पार्टी द्धारा मुस्लिम प्रत्याशी उतारे जाने की रणनीति की खबर पाते ही समाजवादी पार्टी के खेमे में बेचैनी दिखने लगी है। हालांकि बसपा सुप्रीमों ने अभी पार्टी उम्मीदार की घोषणा नहीं की है, समाजवादी पार्टी अभी से बसपा की रणनीति का काउंटर करने की तरकीब सोचने लग गई है। इस कारण उसने अपने उम्मीदवार के एलान को फिलहाल स्थगित कर दिया है। अब एलान दस अप्रैल को होगा।
कौन है बसपा प्रत्याशी?
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार बहुजन समाज पार्टी ने डुमरियागंज सीट के लिए उम्मीदवार तलाश लिया है। बसपा के प्रत्याशी गोरखपुर के एक बड़े मुस्लिम कारोबारी हैं। उनके सभी राजनीतिक दलों से मधुर रिश्ते हैं। गाजी बाबा के नाम से विख्यात इन कारोबारी के नाम पर मुहर लगते ही सपा बेचैन हो गई है। हालांकि बसपा ने अपने प्रत्याशी की अभी अधिकृत घोषणा नहीं की है मगर उसके इस अप्रत्याशित कदम से मुस्लिम वोट बंटने का खतरा हो गया है, ऐसा समाजवादी पार्टी का मानना है। इसलिए वह अपने स्तर से नई रणनीति बनाने में जुट गई है।
कांग्रेस के पूर्व सांसद से मिले अखिलेश यादव
बताया जाता है कि इसी रणनीति के तहत सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव ने कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व सांसद मुहम्मद मुकीम को मिलने के लिए लखनऊ बुलाया था। ताकि वे गठबंधन से प्रत्याशी की मदद के लिए अपने स्तर से काम करें। इसके बदले में अखिलेश यादव ने चुनाव बाद उनको कोई राजनीतिक इनाम और सम्मान देने का भरोसा भी दिया है। गाजी बाबा से संभावित मुकाबले के लिए सपा के अघोषित प्रत्याशी कुशल तिवारी भी अपने स्तर से गोरखपुर में प्रयास कर रहे हैं।
क्या है जातीय समीकरण?
इस जिले में मुसलमान मत करीब 26.50 प्रतिशत है। 10 फीसदी यादव और कम से कम 5 प्रतिशत अति पिछड़ों के सहारे सपा के पास तकरीबन 41 फीसदी वोट का हिसाब बनता है। इस गणित में ब्राह्मण कंडीडेट उतार कर सपा अपने मतों को 50 प्रतिशत से ऊपर ले जाकर जीत सुनश्चित करना चाहती है। जिले में ब्रह्मण मतदाता 11 प्रतिशत हैं। ऐसे में अगर बसपा ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारा तो उसे जितने भी मुस्लिम वोट मिलेंगे उतने वोटों का इंतजाम के लिए सपा को कुछ अतिरिक्त प्रयास करा पड़ेगा। यद्यपि की गठबंधन के दो दल सपा और कांग्रेस के लोगों का दावा है कि मुसलमान मतदाता इस बार बसपा को वोट देने के मुड में कत्तई नहीं है। यह बात आशिक रूप से सही भी है मगर मुस्लिम प्रत्याशी होने पर बसपा को तो कुछ मुस्लिम वोट मिलेंगे ही। इससे नुकसान सपा का ही होगा।
भाजपा में उत्साह?
बताया जाता है कि बसपा की इस रणनीति से जहां सपा में बेचैनी महसूस की जा रही है वहीं बातचीत में भजपा कार्यकर्ताओं के चेहरे पर उत्साह की लकीरें देखी जा सकती है। बसपा के इस कदम से सपा ने फिलहाल कुशल तिवारी की प्रत्याशिता को रोक रखी है। सूत्रों के अनुसार बसपा अपने प्रत्याशी की अधिकृत घोषणा 8 या 9 अप्रैल को करेंगी। उसे देखने के बाद ही सपा अपने पत्ते खोलेगी। फिलहाल आज की तरीख में दोनों दलों के अघोषित उम्मीदवार बसपा के गाजी मियां व सपा के कुशल तिवारी को लेकर भांति भांति की रणनीतियां बनाई जा रही हैं।