सियासतः एमिम और बसपा में तालमेल की बात तकरीबन आखिरी मुकाम पर
एस. दीक्षित
लखनऊ। यूपी में अगले चुनाव के लिए सियासी गतविधियां तेज़ हो चली हैं। एक तरफ सत्ताधारी दल समाजवादी पार्टी फिर से करिश्मा कर सत्ता में आने के लिए कोशिश में है, वहीं बहुजन समाज पार्टी नये राजनैतिक माहौल को देखते हुए 2017 में गठबंधन के साथ चुनाव मैदान में नज़र आने वाली है।
भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक बहुजन समाज पार्टी उत्तर प्रदेश में कुछ छोटे दलों को अपने साथ जोड़ कर चनाव के मैदान में होगी। जानकारी के मुताबिक प्रदेश की 403 सीटों में से वह अपने सहयोगियों को 100 से 150 सीट तक दे सकती है। सूत्रों के मुताबिक बहुजन समाज पार्टी और आल इंडिया इत्तेहादुल मुसलमीन (एमिम) के बीच आपसी तालमेल का मामला तकरीबन अखिरी मुकाम पर है। दोनों दल उत्तर प्रदेश में साथ चुनाव लड़ सकते हैं।
आल इंडिया इतिहादुल मुस्लिमीन जहाँ महराष्ट्र में शानदार नतीजे देने के बाद उत्तर प्रदेश में अपना वजूद कायम करना चाहती है, वहीँ बहुजन समाज पार्टी हर हाल में सत्ता में वापसी चाहती है। इसी कारण दलित और मुस्लिम वोटों को एक जगह लाने और इस गठजोड़ के दम पर मौजूदा समाजवादी पार्टी को दोबारा सरकार में आने से रोकने के लिये लिए 2017 के चुनाव में उत्तर प्रदेश में ये फार्मूला आज़माया जाने वाला है।
राजनैतिक जानकारों का मानना है कि अगर दलित और अन्य अल्पसंख्यक वोट एक प्लेटफार्म पर आ जाता है, तो मायावती को सत्ता में आने से कोई नहीं रोक सकता। जानकारी के मुताबिक बसपा और एमिम के गठबंधन की घोषणा जुलाई के अन्त में की जाएगी। सूत्रों के मुताबिक एमिम मुखिया असदुद्दीन ओवैसी और बसपा की टॉप लीडरशिप के बीच बातचीत करने में कानपूर के एक बड़े कारोबारी की अहम भूमिका है।
इन दोनों दलों के नेतओं के बीच इस कारोबारी के माध्यम से गठबंधन की भूमिका तैयार हो सकी है, जिसके बाद से दोनों दलों के बड़े नेता कई दौर की बातचीत कर चुके हैं और दोनों मिलकर साथ चुनाव लड़ने के मुद्दे पर सहमत हैं। अगर ऐसा हुआ तो इसका असर यूपी की सियासत पर जरूर पड़ेगा।