बांसीः क्या चमनआरा राइनी का टिकट काटने के लिए संध्या जायसवाल को सपा में शामिल कराया गया

April 16, 2023 1:40 PM0 commentsViews: 884
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नजीर मलिक

समाजवादी पार्टी की सबसे मजबूत गढ़ समझी जाने वाली निकाय बांसीनगर पालिका में  सपा अपने अंतविर्रोधों मे घिरती नजर आ रही है। लगभग दो दशक से लगातार जीत रही पार्टी में इस वक्त गुटीय घात प्रतिघात चल रहा है। जिसका नतीजा आगे चल कर सपा को ही भुगतना पड़ सकता है। मिली जानकारी के अनुसार पिछड़ा वर्ग महिला के लिए रिजर्व इस सीट पर मो. इदरीस राइनी चेयर मैन थे। इससे पहले उनकी पत्नी चमनआरा राइनी चेयरमैन थीं। इससे पूर्व इदरीस राइनी के पिता वली मो राइनी इस पद पर आसीन हुआ  करते थे। गांसी के नगर पालिका क्षेत्र के मतदाताओं पर इस परिवार का इतना प्रभाव है कि सामान्य सीट होने के बावजूद इस परिवार के सदस्य यहां से लड़ कर जीतते रहे। मगर गत दिनों एक और पूर्व अध्यक्ष को पार्टी में शामिल करा कर राइनी परिवार को सशिकित करदिया गया। इसके बाइ वहां गुटबाजों की सक्रियता बढ़ गई।

दरअसल पिछले दिनों नगरपालिका की पूर्व चेयरमैन संध्या जायसवाल को सपा में अचानक शामिल कर लिया गया। एक समान्य गृहणी और बुजुर्ग महिला  को चुनाव के मौके पर पार्टी में शामिल कराने को जानकार  पूर्वचेयमैन चमनआरा राइनी का टिकट काटने जाने का संकेत मान रहे हैं। मगर प्रतिबद्ध सपाई जानते हैं कि चमनआरा ऐसी महिल है जो खुद राजनीति करती है और प्रत्येक घर की महिलाओं के साथ सदा सुख दुख में साथ्र खड़ी रहती है। इसलिए इस माहौल में भी उसके चुनाव को लोग लाख चाहने पर भी सामप्रदायिक नहीं बना पाते और चमन आरा अथवा उनके परिवार का ही कोई व्यक्ति आसानी से चुनाव जीत जाता है।

संध्या जायसवाल को पार्टी में लाने से दुखी कार्यकर्ता नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि अगर चमनआरा राइनी की जगह किसी दूसरे को टिकट दिया तो सपा की निश्चित हार हो जायेगी।  कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह विश्वासघात आगे चल कर पार्टी को कमजोर कर सकती है। चमनआरा को कुददिन पहले भी सपा के एक गुट की साजिश के चलते  महिला विंग के जिलाध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था लेकिन उनके जुझारुपन के चलते ही बाद में उन्हें प्रदेश कमेटी में शामिल करना पड़ा।

चमनआरा राइनी बोलीं

इस बारे में चमनआरा राइनी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पार्टी में कोई भी आये उसका स्वागत है। लेकिन टिकट के बारें में उनकी दावेदारी यथावत है।टिकट कटने की आशंका पर उन्होंने ककि आशंका के आधार पर टिप्पणी करना उचित नहीं है। उन्हें पार्टी के नेताओं पर पूरा विश्वास है।उनके साथ यदि कोई अन्याय हुआ तो वह पार्टी फोरम में उठायेंगी।

क्या बोले जिलाध्यक्ष लालजी यादव

इस बारे में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व पूर्व विधायक लालजी यादव ने पूछने पर बताया कि संध्या जायसवाल का पार्टी में आगमन टिकट देने की शर्त पर नहीं हुआ है। वहनिष्ठा के तहत सपा में आई हैं। उनका नाम लिस्ट में केवल औपचारिकता के तहत भेजने का फैसला किया गया है। इससे किसी कार्यकर्ता को संशकित नहीं होना चाहिए।

बांसी नगरपालिका का इतिहास

वर्ष 2001 के चुनाव मे सपा प्रत्याशी संध्या जायसवाल ने जीता था। बसपा प्रत्याशी श्रीमती राईनी दूसरे स्थान पर तथा मामूली अंतर से भाजपा प्रत्याशी राजकुमारी तीसरे स्थान पर रही थीं। इसके बाद वर्ष 2007 के चुनाव में सपा प्रत्याशी वली मोहम्मद राईनी चुनाव जीतने में सफल हुए दूसरे स्थान पर निर्दल प्रत्याशी अजय कुमार श्रीवास्तव अज्जू रहे। वर्ष 2010 में नपा अध्यक्ष वली मोहम्मद राईनी के आकस्मिक निधन के बाद हुए उप चुनाव में भाजपा प्रत्याशी अजय कुमार श्रीवास्तव चुनाव जीते। वर्ष 2012 में हुए आम चुनाव में सपा अपनी सीट वापस पाने मे सफल हो गई। इस बार सपा की चमन आरा राईनी ने भाजपा की वंदना श्रीवास्तव को शिकस्त दिया। वर्ष 2017 के के चुनाव में चमन आरा के पति व सपा नेता मो. इद्रीश पटवारी चुनाव जीते। दूसरे स्थान पर भाजपा के अजय कुमार श्रीवास्तव रहे। इसलिए एक चुनाव छोड़ कर सदा ही राइनी परिवार का इस सीट पर कब्जा रहा।

 

 

 

 

 

 

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