चरस तस्करी के आरोपी को न्यायालय ने किया दोषमुक्त

July 16, 2023 1:54 PM0 commentsViews: 347
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अजीत सिंह 

सिद्धार्थनगर। अपर सत्र न्यायाधीश द्वितीय हिमांशु दयाल श्रीवास्तव ने चरस तस्करी के आरोपी को साक्ष्यों में विरोधाभास होने के कारण अभियोजन पक्ष द्वारा मामले को सन्देह से परे साबित न कर पाने की दशा में दोषमुक्त कर दिया। बचाव पक्ष की पैरवी अधिवक्ता त्रिपाठी सहोदर भाई ने किया।

मामला वर्ष 1995 में ढेबरुआ थानाक्षेत्र धनौरा के पास का था। फर्द बरामदगी के अनुसार तत्कालीन थानाध्यक्ष कामता प्रसाद राय अपने हमराहियों एसआई भरत सिंह, कांस्टेबल मुबारक अली, लालजी सिंह, मधुसूदन राय व विज्ञान तिवारी के साथ थाना क्षेत्र की देखभाल व तस्करी की रोकथाम के लिए भ्रमण में थे। धनौरा के पास बाग में उनको मुखबिर ने सूचना दिया कि तीन व्यक्ति नेपाल की तरफ से विदेशी चरस लेकर रेलवे लाइन पारकर दुधवनिया की तरफ जा रहे हैं।

मुखबिर व हमराहियों के साथ बाग में छिपकर पुआल की आड़ में गाड़ाबन्दी करके बैठ गए। थोड़ी देर बाद तीन व्यक्ति उस तरफ चकरोड से रेलवे लाइन की तरफ आते दिखे। मुखबिर के इशारे पर सब लोग एकाएक निकलकर टॉर्च जलाते हुए रोके टोके तो तीनों व्यक्ति पीछे मुड़कर भागने लगे। तीनों को दौड़ाकर पकड़ लिया गया जिन्होंने पूछताछ के दौरान अपना नाम पता गोठे उर्फ रफीक पुत्र लाल मोहम्मद नेपाल निवासी सेमरा वार्ड नं.2 थाना कृष्णानगर, मुमताज अहमद पुत्र हबीबुल्लाह निवासी नरियांव थाना अतरौलिया जिला आजमगढ़ व राम नेवास पुत्र बल्जोर निवासी जुमलूपुर जहांगीरगंज जिला फैजाबाद बताया।

जामा तलाशी के दौरान गोठे उर्फ रफीक से एक किलो चरस, मुमताज अहमद से एक किलो चरस व रामनेवास से 500 ग्राम चरस मिला जिसे रखने के कागजात उनके पास नहीं थे। पुलिस ने फर्द बरामदगी के आधार पर विवेचना करके तीनों के विरुद्ध आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया। न्यायालय ने अपराध का संज्ञान लेकर विचारण प्रारम्भ किया और विचारण के दौरान ही अभियुक्त मुमताज की पत्रावली अलग करके उसका विचारण किया।

विचारण समाप्त होने के बाद दोनों पक्षों की बहस सुनकर विचारण के दौरान उपलब्ध साक्ष्यों में गवाहों की गवाही, बरामदगी, विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट व अन्य प्रपत्रों के आधार पर न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि अभियोजन पक्ष मामले को युक्तियुक्त रूप से सन्देह के परे साबित करने मे विफल रहा है। ऐसी स्थिति में न्यायालय ने अभियुक्त को सन्देह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया। पूर्व में अन्य अभियुक्त भी न्यायालय से दोषमुक्त हो चुके थे।

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