नेपाल में दो गुने दाम पर बिकती हैं भारत से चुराई गई मोटरसाइकिलें
नेपाल के पहाड़ाें और ग्रामीण क्षेत्रों में आमतौर से आरटीओ द्वारा कागज की चेकिंग न होने से चोरी की बाइक चलाना बहुत आसान
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। बाइक चोरी होने के बाद इसलिए नहीं मिलती है कि जब तक पुलिस सक्रिय होती है, तब तक लिफ्टर उनसे दो कदम आगे बढ़कर उसे नेपाल पहुंचा देते हैं। नेपाली कबाड़ की आड़ में नई गाड़ियां खपा दे रहे हैं। भारतीय क्षेत्र की अपेक्षा नेपाल में गाड़ियां दो गुनी महंगी होने के कारण तस्करों के लिए काली कमाई की राह आसान हो रही है। यहां तककि जो पुरानी गाड़ी यहां 30 हजार में बिकती हैं, नेपाल में 60 हजार में बिक जाती है।
क्या है दामों का अंतर
बताया जाता है कि जिस गाड़ी का दाम भारत में एक लाख रूपये है वहीं बाइक सारी औपचारिकताओं को पूरी करने के बाद दो लाख में बिकती है। इसी हिसाब से पूरानी गाड़ियों का दाम भी लगता है। वहां चोरी की पुरानी गाड़ी के दाम कम से कम 50 से 60 हजार तो मिल ही जाते हैं। नेपाली नागरिक इन्हें आसानी से खरीद भी लेते हैं। क्योंकि नेपाल के पहांड़ों और ग्रामीण क्षेत्रों में आम तौर से कागज की चेकिंग नहीं होती। इससे नागरिक उन बाइकों को धड़ल्ले से चलाते देखे जाते हैं।
कैसे की जाती है बाइक चाोरी
नेपाल में चोरी की मोटरसाइकिलें पहुंचने के बाद उनको कोई पूछता नहीं है। कुल मिलाकर कहें तो आसपास के किसी भी जनपद से बाइक चोरी हो तो सिद्धार्थनगर वाया नेपाल यहीं से पहुंचता है। पूर्व में जिले में पकड़े गए बाइक लिफ्टर गिरोह के सदस्यों ने बस्ती और अन्य जनपदों से बाइक चोरी करके नेपाल भेजने की बात स्वीकार कर चुके हैं। इसमें इनका सहयोग बाइक मैकेनिक और भंगार के लोग भी करते हैं। हर साल औसतन जिले में 100 से अधिक बाइक चोरी होती है। जनपद में बाइक चोरों का एक ऐसा गिरोह सक्रिय है जो नजर हटते ही बाइक चुरा लेगा। कुछ ही मिनटों में पूरी बाइक का पुर्जा-पुर्जा खोलकर अलग-अलग कर दिया जाएगा। रिपोर्ट लिखवाने के बाद जबतक पुलिस सक्रिय होगी, तब तक गिरोह के लोग इसे सीमा पार करा देंगे। इसके बाद चक्कर काटते रहिए, बाइक नहीं मिलने वाली। सीमावर्ती क्षेत्रों से चोरी होने वाली हर बाइक नेपाल में पहुंच रही है। जिसकी भारतीय बाजार की तुलना में ढ़ाई गुना अधिक कीमत मिल रही है। लाख कोशिशों के बाद पुलिस इन पर अंकुश नहीं लगा पा रही है।
पकड़े गये बाइक चोरों ने क्या बताया
मई माह में मोहाना पुलिस के हत्थे चढ़े नेपाली गैंग के सदस्य अनिल कहार निवासी लबनी थाना कपिलवस्तु नेपाल ने पुलिस पूछताछ में कबूल भी किया था कि सीमा पर सख्ती बढ़ने के बाद उन्होंने अब उन लोंगों ने बाइक को पार करने का तरीका बदल दिया है। अब वे चोरी के कुछ देर बाद वे बाइक को खोलकर पार्ट में तब्दील कर देते हैं फिर मौका देख कर उसे नेपाल पहुंचा देते हैं। नेपाल भेजने में जिले की 68 किलोमीटर खुली सीमा उनकी मददगार साबित होती है। इसी प्रकार लोटन कोतवाली की पुलिस ने अप्रैल माह के आखिरी सप्ताह में बाइक चोरी करने वाले गिरोह के एक गुर्गे को पकड़ा था। जो नेपाल का रहने वाला था। पूछताछ के बाद उसकी निशानदेही पर चोरी की नौ बाइक बरामद की गई थी। पूछताछ में पता चला था कि बाइक चोरी के बाद उसे नेपाल में बेचता था। इसी तरह मोहाना थाने में पकड़े गये एक बाइक चोर ने भी यही बात कबूल की थी।
खुली सीमा बाइक ले जाने में आसान
बता दें कि सिद्धार्थनगर- नेपाल सीमा पूरी तरह से खुली हुई है। इसलिए वाहन चोर व आसामाजिक तत्व खुली सीमा और पगडंडियों का सहारा लेकर अपने मंसूबे में कामयाब हो जाते हैं। जैसा की मौजूदा समय में बाइक चोरी करने वाला गिरोह है। नेपाल से संचालित होने वाले बाइक चोरी करने वाले गिरोह के सदस्य बाइक चलाकर ले जाने के साथ ही पकड़े जाने के भय से अब चोरी की बाइक को खोलकर पार्ट में बदल दे रहे हैं। कैरियर के माध्यम से झोले में रखकर अलग-अलग पार्ट को सीमा पार पहुंचा देते हैं। कुछ के तो पार्ट ही बेच देते हैं। कई बाइक को बाइक तैयार करके बेचते हैं। कारण इनके गिरोह में मोटर मैकेनिक भी जुड़े हैं जो भारत और नेपाल दोनों जगह पर हैं। इसलिए जिले में चोरी होने वाली बाइक नहीं मिलती है। पुलिस की पूछताछ में गिरोह के सदस्य यह बात खुद बता चुके हैं।
एक वर्ष में औसतन 150 बाइकें हो जाती हैं पार
जिले में अगर वाहन चोरी के आकड़ों पर गौर करें तो 100 से अधिक बाइक हर साल चोरी होती है। जो किसी ने किसी माध्यम से नेपाल पहुंचती है। समय रहते या फिर भारतीय क्षेत्र में चलती हुई पाए जाने पर ही बरामद हो पाती है। जैसा कि एक साल में एसओजी और थानों की पुलिस अबतक लगभग 80 से अधिक बाइक बरामद की है। 50 प्रतिशत से अधिक वाहन चोरी होने के बाद नहीं मिलते हैं। केस भले ही पुलिस दर्ज कर ले। वहीं, जिले में आठ में माह में बाइक चोरी होने के 52 मामले दर्ज हुए हैं।
क्या बोले पुलिस अधीक्षक
इस बारे में पुलिस अधीक्षक अभिषेक कुमार अग्रवाल का कहना है कि अपराध पर लगाम लगाने के लिए सीमावर्ती थानों की पुलिस को दिशा-निर्देश दिया गया है कि वह सीमा क्षेत्र में विशेष सतर्कता बरते और संदिग्ध मिलने वालों पर कार्रवाई करें। उन्होंने सीमा पर सदा ही पलिस के गश्ती दल को विशेष सतर्कता बरतने का निर्देश दे रखा है।