भाजपा ने प्रत्याशी बदला, संतोष की जगह उर्मिला की घोषणा, क्या गुटबंदी के कारण हुआ निर्णय
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। जिला पंचायत चुनाव में भाजपा ने नामांकन के बाद एक वार्ड में भाजपा समर्थित प्रत्याशी से समर्थन वापस लेकर उनके स्थान पर नये प्रत्याशी की घोषणा कर दी है। इससे एक साथ अगल बगल के वार्डो में भाजपा के समीकरण बदल सकते हैं। राजनीकि हल्कों में इसे भाजपा के अंदरूनी मतभेद का नतीजा बताया जा रहा है। जबकि भाजपा इसे अनुशासन का मामला बता रही है।
मिली जानकारी के अनुसारि पंचायत सदस्य पद के लिए वार्ड नम्बर आठ से चुनाव लड़ रहीं श्रीमती संतोष सिंह को भाजपा ने अपना समर्थित प्रत्याशी घोषित किया था। वे इसी बैनर से चुनाव प्रचार में जुटीं भीं थीं।बमगर अचानक ही पार्टी ने उनसे समर्थन वापस लेकर गत दिवस उसी वार्ड से उर्मिला तिवारी को भाजपा समर्थित प्रत्याशी घोषित कर दिया। इस घटना से वहां के राजनीतिक चुनाव में तत्काल ही बदलाव दिख। इसके अलावा जनता में भ्रम की स्थिति बन गई।
मतदान में पांच ही दिन बचे हैं। फलतः नये प्रत्याशी को अपने को भाजपा समर्थित प्रत्याशी साबित कर पाने में दिक्कत होगी। लोकल चुनाव प्रचार में सार्वजनिक सभाओं की भी अपनी सीमा होती है। ऐसे में भाजपा समर्थित मतदाताओं में हांच-पांच होना स्वाभाविक है। इधर संतोष सिंह से भाजपा का समर्थन वापस लेने से उनका सजातीय वर्ग आहत दिख रहा है। इसका असर अगल बगल के चुनाव क्षेत्रों में पड़ सकता है। इस बारे में कुछ लोगों का कहना है कि भाजपा की अंदरूनी राजनति के चलते एसा निर्णय लेना पड़ा है। जिसके दूरगामी परिणाम निकल सकते हैं।
दूसरी ओर भाजपा के जिला मीडिया प्रभारी महेश चंद्र वर्मा का कहना है कि संतोष सिंह के पति द्धारा दूसरे वार्ड में भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ नामांकन करने के बाद पार्टी ने यह निर्णय लिया है। उनके अनुसार यह अनुशासन का मामला है। लेकिन सवाल यह है कि पत्नी की पार्टी प्रतिबद्धता को उसके पति से कैसे जोड़ा जा सकता है। हर पार्टी में तमाम ऐसे लोग है जिनके पति पत्ली अलग-अलग दलों की राजनीति करते हैं। ऐसे लोग भाजपा में भी हैं मगर ऐसे लोगों के खिलाफ, इसस आधार पर कभी कोई कार्रवाई नहीं। फिर संतोष के साथ ऐसे क्यों? इससे तो बात पार्टी अनुशासन की नहीं अंदरूनी राजनीति की ही सत्य के काफी करीब लगती है।