चुनाव छात्रसंघः बुद्ध डिग्री कालेज में हार-जीत का पता नहीं, क्षण इधर विजय, क्षण उधर विजय
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। होती थी भीषण मार काट, अरि रण में छाया था,
हार-जीत का पता नहीं, क्षण इधर विजय, क्षण उधर विजय।
उपर की दो लाइनें बुद्ध विदृयापीठ डिग्री कालेज सिद्धार्थनगर के छात्र संघ के चुनाव में बिलकुल सटीक बैठती हैं। लड़ाई यहां त्रिकोण है, हालात कभी एक की जीत का प्रमाण देते हैं तो कभी दूसरे की हार का गवाह बन जाते हैं। चुनाव राचक है। 22 को मतदान के बाद ही जीत की इबारत लिखी जायेगी।
बुविपी डिग्री कालेज में तीन साल बाद हो रहे चुनाव को लेकर छात्रों और उम्मीदवारों में बेहद उत्साह है। समाजवादी पार्टी की विंग छात्र सभा से विकास सिंह उर्फ गल्लर सिंह उम्मीदवार है। सपा छोड़ कर गये संदीप जायसवाल अखिल भारतीय विदृयाथी परिषद से और शरफुदुदीन न्यूट्रल किस्मत आजमा रहे हैं।
यहां सबके अपने–अपने दावे हैं। सपा के बैनर के चलते विकास सिंह राजपूत, मुसलमान और पिछड़े वोटों के बल पर जीत के सबसे प्रबल दावेदार हैं। लेकिन उनकी गणित की काट भी है। शरफुदीन अल्पसंख्यक समुदाय के हैं। अच्छे आचरण के बल पर कालेज की लड़कियों में उनका प्रभाव है। लिहाजा वह सशक्त प्रतिद्धंदी हैं।
रही बात अभाविप प्रत्याशी संदीप जायसवाल की। लड़का अच्छा है। लेकिन अंतिम क्षण में उसने जिस तह पाला बदल कर अभाविप का दामन थामा है, उससे उसके मुस्लिम समर्थक छात्र नाराज हैं।
लेकिन यह भी सत्य है कि भाजपा समर्थित विदृयार्थी परिषद का वोट फिक्स है। इसलिए संदीप की हारजीत विरोधी मतों के विभाजन पर निर्भर है।
बात साफ है कि अगर छात्राओं के वोट शरफुदृदीन के पक्ष में गये तो उनकी जीत तय है। लेकिन अगर अल्पसंख्यक सपा के नाम पर विकास के मिले तो उनकी जीत को रोक पाना कठिन होगा।
जहां तक अभाविप के संदीप जायसवाल की बात है तो वह तभी जीत सकेंगे, जब वह मत विभाजन कराने में सफल हों। फिलहाल स्थिति जटिल है। अगला राइटअप चुनावी परिदृश्य का खुलासा करेगा। कल तक प्रतीक्षा कीजिए, फिलहाल अभी हालत क्षण इधर विजय क्षण उधर विजय की है।