झूला पड़ै कदम के डारी, झूले कृष्ण मुरारी
संजीव श्रीवास्तव
“बुधवार को जिले में नागपंचमी का पर्व पूरे हर्षोल्लास से मनाया गया। भोर से ही घर-घर में नाग देवता की पूजा की तैयारी शुरू हो गयी थी। दूध और लावा चढ़ाने के बाद महिलाओं ने तरह-तरह के पकवान बनाए और शाम होते ही बच्चों का झुंड गुड़िया पीटने निकल गया। मौसम की ठंडी तासीर ने पर्व का उत्साह दूना कर दिया। बच्चे सुबह से सिर्फ एक ही काम पर आमादा हो गये।”
शहर हो या देहात, हर जगह झूलों की बहार रही। सुबह से महिलाओं के कंठ से कजरी के सुर फूटने लगे। बच्चे तो बच्चे, स्वयं घर के बड़े भी झूलों पर जा पहुंचे। फिर क्या था चारों तरफ बस यही सुनाई देने लगा। झूला पड़ै कदम के डारी, झूले कृष्ण मुरारी। हर तरफ यह मनोरम दृश्य देखने को मिला।
कुछ पल के लिए हर किसी ने यह महसूस किया कि झूलों पर जैसे साक्षात बचपन उतर आया हो। मन सब कुछ भूल बैठा हो और बस अगले से सीधे कह रहा हो कि झूले से उतरो, अब मेरी बारी। झूले के साथ महिलाओं के कजरी गीत झूला पड़ै कदम के डारी झूले कृष्ण मुरारी, कैसे खेले जइबू सावन की कजिरिया, बदरिया घिरि आइलैं ननदी, मस्त सावन कय महीना, झूला-झूलें नारी-नगीना।
इतना ही नहीं, युवाओं ने अपने साथियों को एकत्रित किया और बच्चों के साथ उन्होंने भी डंडी की खरीददारी की। शाम को गुड्डी पीटने निकलें और बेहद खूबसूरत याद के साथ सावन को नागपंचमी को विदाई दी। सभी ने जमकर नागपंचमी का आनंद लिया। शाम को नगर के पेट्रोल पंप तिराहा पर गुड़िया पीटने की रस्म अदा की गयी। नगर से लेकर गांव तक हर कोई नाग पंचमी के उल्लास में डूबा रहा।