शोहरतगढ़ बोला, अब इज़्ज़त की नज़र से देखे जाएंगे स्कूली बच्चे
दानिश फ़राज़
इलाहाबाद हाईकोर्ट के क्रांतिकारी फैसले पर शोहरतगढ़ शहर के लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया ज़ाहिर की है। बाएं से चंदन वर्मा, आमिर हुसैन, हाशिम भाई और राजेश उपाध्याय।
सूबे की शिक्षा पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का चर्चित फैसला नागरिकों के बीच ज़बरदस्त लोकप्रियता हासिल कर रहा है। लोगों का मानना है कि अगर प्राइमरी स्कूल में एमपी, एमएलए और दूसरे अफसरों के बच्चे पढ़ेंगे तो शिक्षा की गुणवत्ता फर्श से अर्श पर पहुंच जाएगी।
शोहरतगढ़ स्थित छतहरि गांव के राजेश उपाध्याय प्राइमरी स्कूलों का कड़वा सच बताते हैं। वो कहते हैं कि यहां ग़रीब और हाशिए पर ढकेल दिए गए समाज के बच्चे पढ़ते हैं। जिनके पास प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने की ताकत नहीं है, उन्हें मजबूरी में सरकारी स्कूलों का दरवाज़ा खटखटाना पड़ता है। ऐसे में अगर प्राइमरी स्कूल की हालत सुधरे तो ग़रीबों के बच्चों को सबसे ज़्यादा सहूलियत होगी।
शोहरतगढ़ सिटी के हाशिम भाई और चंदन वर्मा कहते हैं कि अधिकारियों और नेताओं के बच्चे पढेंगे तो सरकारी स्कूलों की हालत ऐसी नहीं रहेगी। बेशक, शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।
राजन मिश्रा कहते है कि प्रदेश सरकार को इस फैसले पर जल्द से जल्द अमल करना चाहिए ताकि समाज के सभी वर्ग की शिक्षा में भागीदारी बढ़ सके।
शहर के ही आमिर हुसैन हाईकोर्ट के फैसले से बेहद ख़ुश हैं। वे कहते हैं कि अब ग़रीबों के अच्छी शिक्षा मिलने की उम्मीद बढ़ गई है और इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को सम्मान की निगाह से देखा जाएगा।