सिल्ट सफाई के नाम पर सरकारी धन का बंदरबाट, शिकायत पर अधिकारी मौन
संजीव श्रीवास्तव
सिद्धार्थनगर। सरजू कैनाल में सिल्ट सफाई के नाम पर सरकारी धन के बंदरबाट का खेल जोरों पर है। विभागीय मिलीभगत से मनरेगा योजना की धज्जियां उड़ाई जा रही है। शिकायत करने के बावजूद अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। नाराज ग्रामीणों ने कार्रवाई न होने पर आंदोलन की चेतावनी दिया है।
मिठवल व खेसरहा ब्लाक से किसानों को खेती के समय सिंचाई की सुविधा देने के उद्देश्य से सरजू कैनाल का निर्माण कराया गया था। इसमें से कई माइनर ब्रांच भी निकाली गई। कई वर्षो के बाद पिछले वर्ष कैनाल व माठनर की सिल्ट सफाई की गई थी। सरकारी धन के बंदरबाट की गर्ज से 11 माह के अन्दर फिर से सिल्ट सफाई का खेल शुरू हो गया।
विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से सिल्ट सफाई के नाम पर मशीन से केवल घास की सफाई की जा रही है। जबकि नियम यह है कि कैनाल में सिल्ट सफाई का काम मनरेगा योजना में किया जाना चाहिए। श्रमिकों का रोजगार दिवस भी सृजित होना चाहिए। ग्रामीणों का कहना है कि इस सम्बंध में विभाग से शिकायम किया तो मौकेपर एक जेई पहुंचे जब तक वह मौजूद रहे काम धीमी गति से लेकिन मानक के अनुरूप चला। उसके बाद फिर से पुराना ढर्रा पकड़ लिया।
ग्राम पिपरा फरदंग निवासी सुबाष चंद्र ने कहा कि विभाग की मिलीभगत से क्षेत्र के लोगों को रोजगार नहीं मिल सका। ठेकेदार मशीन से काम करा रहे है। टंटू पांडेय ने कहा कि नहर में सिल्ट सफाई मानक के अनुरूप नहीं किया जा रहा है। केवल घास छील कर भुगतान करने की मंशा दिख रही है।
ग्राम चरथरी निवासी आंधी यादव कहते है कि सफाई के नाम पर विभाग खानापूर्ति कर रहा है। सरकारी धन का दुरूपयोग हो रहा है। संकठा पांडेय ने मांग किया कि विभाग के अधिकारी भुगतान करने से पूर्व कार्य का स्थलीय निरीक्षण कर ले, दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा।
इस संबंध में अवर अभियन्ता सरजू कैनाल धर्मेन्द्र यादव ने कहा कि शित्रयत करने से पूर्व मौके की जांच कराई गई। भुगतान करने से पूर्व स्थालीय जांच कराई जाएगी।