खेत काटने वाली मशीन ही खेतों में लगा रही आग, पौने दो रोड़ का गेहूं जल कर खाक, किसान तबाह
कम्बाइन व भूसा बनाने वाली मशीन की चिंगारियों से खेतों में लग रही है आग, किसानों को सीवान में बड़ी मुश्किल से मिलता पाता है पानी
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। फसल काटने में बेहद उपयोगी कम्बाइन मशीन सैकड़ों किसानों के खेतों में कहर बरपा रही है। जिसके चलते डेढ़ में किसानों की दो करोड़ की फसल जल कर राख हो चुकी है। दिन रात लगातार चलने वाली इस मशीन की चिंगारी से निकली आग फसलों को खाक कर दे रही है। खेतों में धधकती आग को हवा से फैलते देर नहीं लग रही है, जबकि पानी का इंतजाम नहीं है। इस कारण कटाई की यह सुविधा ही लोगों की बर्बादी का कारण बन रही है।
उल्लेखनीय है कि शहरी क्षेत्र के ग्राम बभनी में रविवार को कंबाइन मशीन से आग लगी तो बीस बीघा फसल जल गई। शहर के मात्र चार किमी दूरी पर आग लगी थी, लेकिन अग्निशमन दल मौके पर नहीं पहुंचा था। इस मौके पर नगर पालिका परिषद सिद्धार्थनगर के पानी के टैंकर से आग बुझाने में मदद मिली। ईओ मुकेश कुमार चौधरी ने बताया कि जहां आग लगने पर सहयोग मांगा जाता है तो पानी के टैंकर भेजे जाते हैं। बभनी की तरह ही अनवारी गांव में कंबाइन मशीन से आग लगी थी। इटवा में 250 बीघा फसल जलने के मामले में अगलगी का कारण कंबाइन मशीन को माना ही माना जाता है। उसका में भी कंबाइन मशीन से आग लगी थी, जिसमें 70 बीघा फसल जल गई थी।
कुल मिला का 28 फरवरी से अब तक जिले में 155 स्थानों पर आग से फसल जलने की घटनाएं हुई हैं।, जिसमें 125 घटनाएं अप्रैल माह में ही हुई हैं। इनमें ज्यादातर स्थानों पर आग लगने का कारण कंबाइन या बिजली के तारों से निकली चिंगारी है। जिला प्रशासन ने कंबाइन मशीनों को चलाने की अनुमति दी है। साथ में भूसा बनाने वाली मशीन भी रखने का निर्देश दिया है, लेकिन इन मशीनों के साथ पानी के इंतजाम की व्यवस्था नहीं की गई है। अग्निशमन विभाग में पर्याप्त वाहन नहीं है। नगर निकायों से कुछ एक जगह पानी के टैंकरों को खेतों में जरूर लगाया गया है।
गाड़ियों के अभाव में हर साल करोड़ों का नुकसान
अग्निशमन विभाग के साल दर साल पत्राचार के बावजूद भी चार गाड़ियां नहीं मिल पा रहीं। वर्तमान में जिले की पांच तहसीलों के लिए मात्र एक एक गाड़िया हैं। यदि ये चार-चार होती तो एक साथ कई स्थानों पर आग बुझाने में मदद मिलती। दो छोटी गाड़ी की कीमत करीब 28 लाख रुपये और दो बड़ी गाड़ियों की कीमत 80 लाख रुपये होगी। उस्का बाजार के प्रतिशील किसान ओंकार पांडेय का कहना है कि यदि शासन से गाड़ियां मिल जायें तो साल दर साल हाने वाली एक बड़ी क्षति को रोकी जा सकता है।
अब तक 1.75 करोड़ की क्षति
कृषि विज्ञान केंद्र सोहना के वैज्ञानिक डॉ. मार्कंडेय सिंह ने बताया कि एक बीघा गेंहू में औसत उत्पादन चार क्विंटल होता है। जिले में 1800 बीघा से अधिक गेंहू की फसल जली है, एक बीघा में 8000 रूपये का गेंहू पैदा हो तो लगभग 1.50 करोड़ रुपये नुकसान हो गया। भूसा बनाने वाली मशीन चलाने वाले मन्नान खान ने बताया कि एक एकड़ गेंहू के ठंडल से दो ट्राली भूसा बन जाता है।1500 रुपये ट्राली भूसा बिक रहा है। ऐसी स्थिति में 1800 बीघा फसल में लगभग 25 लाख रुपये का भूसा बन जाएगा। इस प्रकार अब तक फसल जलने से पौने दो करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है, जबकि आग लगने की घटनाएं हो रही हैं।