मेडिकल कालेज विवाद: आक्सीजन तक रोक दी थी जूनियर डाक्टरों ने, उफ! इतनी क्रूरता?
महिला तीमारदारों ने बताई मेडिकल कालेज में रात की दास्तान और कहा कि आज यह किया तो यह कल डाक्टर बन कर मरीजों के साथ क्या करेंगे
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। स्थानीय माधव प्रसाद त्रिपाठी मडिकल कालेज में सोमवार की रात स्वास्थ्य कर्मियों व मेडिकल की पढाई करने वाले वाले (छात्र) जूनियर डाक्टरों के बीच मारपीट की घटना तो शर्मनाक है ही, मगर जिन हुड़दंगी छात्रों ने मेंडिकल कालेज के इमरजेंसी वार्ड में घुस कर मरीजों को दी जा रही आक्सीजन की सप्लाई लाइन को काटा, वह बेहद क्रूर और अमानवीय है। ऐसे लोगों को डाक्टरी के पेशे में जाने का कोई हक नहीं। ऐसे तत्चों के खिलाफ जांचोपरांत कठोर कार्रवाई कर उन्हें बाहर किया जाना चाहिए। याद रहे कि सोमवार को जूनियर डाक्टरों व मेडिकल कालेज के स्वास्थ्य कर्मियों के बीच जम कर मारपीट और तोडफोड़ की घटना हुई थी।जिसमें बेचारे मरीज पिस गये थे।
जब आक्सीन की सप्लाई काट दी हुड़दंगियों ने
सोमवार को मेंडिकल में जूनियर डाक्टरों व संविदा कर्मियों में मारपीट की घटना के बाद अचानक इमरजेंसी वार्ड में चीख पुकार मच गई। अचानक शोर होने लगा तो सो रहे मरीज परिजन जाग गए। शोर सुनकर मरीजों की धड़कन बढ़ गई थी। उसके कुछ देर बाद ही वार्ड में अचानक लड़के आए और उन्होंने ऑक्सीजन बंद कर दिया और वहां से मरीजों के तीमारदारों को खदेडने लगे। इससे वहां कयामत जैसे आसार दिखाई पड़ने लगे। सबसे बुरी हालत मरीजों के महिला तीमारदारों की थीं। वे अपने मरीज को लेकर रात के 12 बजे कहां जायें? यह सोच कर अनेक तो वहीं चीख चीख कर रोने लगीं। गुंडागर्दी करने वाले एक मरीज के बेड के पास फर्श पर दो बच्चों के साथ सो रही सुमन के पास भी पहुंचे तो वह रोते हुए बोली कि मैं अकेली महिला हूं, एक मरीज है, जबकि दो बच्चे भी हैं। मै कहां जाऊ? सुमन का करुण क्रंदन सुन वार्ड की कई महिलाएं सामने आ गई तथा एक स्वर में प्रतिवाद करने लगीं, इसी दौरान पुलिस भी आ गई तो उन्हें किसी प्रकार राहत मिली।
रोती महिलाओं के भरोसे ही थे मरीज
इस बारें में पथरा क्षेत्र के विशुनपुर गांव की सुमन ने बताया कि इमरजेंसी में मेरी सास भर्ती हैं। घर में कोई पुरुष नहीं था और सास बीमार हो गई तो दो बच्चों को भी साथ लेकर आई हूं। रात में मारपीट और शोर हुआ तो मैं डर गई। वार्ड में लड़के घुसे तो घबराहट बढ़ गई। मुसीबत ऐसी थी कि कुछ समझ में नहीं आ रहा था। फिर तांडव करने वालों के सामने हाथ जोड़कर खड़ी हो गई। ऐसी ही बातें मदनपुर गांव की रेशमा देवी ने भी कहा। उनके अनुसार यहां मेरे पति भर्ती हैं। ठंड लगने के कारण उन्हें अस्पताल लेकर आई और डॉक्टर ने भर्ती कर लिया। मैं अपने मरीज के पास अकेली थी, लेकिन लड़के अंदर घुसे तो लोग भगाने लगे। मैंने तो डर के मारे में बोरिया बिस्तर समेट लिया, लेकिन समझ में नहीं आ रहा था कि कहां जाऊ, उसी दौरान पुलिस आई तो लड़के भागने लगे तब कही जा कर जान बची। हंसुड़ी औसानपुर की रेनू भी कुछ ऐसी ही कहानी बताती है।
सख्त सजा के पात्र हैं हुड़दंगी छात्र?
जिन लोगों ने यह कृत्य किया वह दो तीन सालों में डाक्टर बन जायेंगे। उनकी लड़ाई संविदा कर्मियों से थी। मरीजों ने उनका क्या बिगाड़ा था। ऐसे में सवाल है कि जो जूनियर डाक्टर पढ़ाई के समय मरीजों की आक्सीजन सप्लाई रोक सकता है, तीमारदारों को भगाने जैसी इतनी निर्दयता कर सकता है वह डाक्टर बन कर मरीजों के साथ कितना हृदयहीन व्यवहार करेगा। रेनू आदि कहती हैंकि इन्हें डाक्टर बनने का कोई अधिकार नही है। ऐसे लोगों को तो मडिकल की पढ़ाई से वंचित किया जाना ही बेहतर है। फिलहाल अभी कालेज परिसर में तनाव बना हुआ है। पुलिस का पहरा अभी भी सख्त बना हुआ है और मामले की जांच शुरू हो गई है।