बदले हालात के मद्देनजर कांग्रेस के हिस्से में जा सकती है डुमरियागंज सीट, कांग्रेसियों में उत्साह
डुमरियागंज से अगड़ा वर्ग से नर्वदेश्वर शुक्ल, पिछड़ा वर्ग से वीरेन्द्र चौधरी
व स्लिम खेमे से अरशद खुर्शीद हैं कांग्रेस पार्टी से टिकट के तगड़े दावेदार
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष जयंत चौधरी के इडिया गठबंधन छोड़ भाजपा खेमे में चले जाने से प्रदेश में कांग्रेस गठबंधन का राजनीतिक परिदृष्य बदल गया है। उत्र प्रदेश में अब सपा और कांग्रेस का ही गठबंधन रह गया है। सो बदले राजनीतिक हालात में अब कांग्रेस को सीटें अधिक मिलने की पूरी संभावना है। इस कारण डुमरियागंज लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने को लेकर कांग्रेस के नेताओं में उत्साह बढ़ गया है और कांग्रेस के टिकट के दावेदारों की भाग दौड़ एक बार फिर तेज हो गई है।
क्या हैं बदले हालात
बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा विरोधी गठबंधन में रालोद को सात सीटें मिली थीं। कांग्रेस के लिए लगभग 15 सीटों में से 11 सीटों की घोषणा भी हो गई थी। बाकी सीटों पर समाजवादी पार्टी को चुनाव लड़ना था। लेकिन जयंत चौधरी के अचानक पाला बदल लेने से कांग्रेस को अधिक सीटें मिलने की संभावना हो गई है। सूत्रों का मानना है कि अब कांग्रेस को इंडिया गठबंधन के तहत 22 से 25 सीटें मिल सकती है। यदि ऐसा हुआ तो डुमरियागंज से कांग्रेस के लड़ने के आसार निश्चित बढ़ जाएंगे।
टिकट के दावेदारों की बढ़
इस नये समीकरण के तहत इस मुस्लिम बहुल सीट से चुनाव के इच्छुक कांग्रेसियों की बाढ़ आ गयी है। खबर है कि कांग्रेस नेता अरशद खुर्शीद, पूर्व सांसद मोहम्मद मुकीम, कांग्रेस नेता सच्चिदानंद पांडेय सहित बदरे आलम ने टिकट पाने का प्रयास तेज कर दिया है। एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री नर्वदेश्वर शुक्ल भी अपने उच्च सम्पर्को सहारे टिकट पाने के प्रयास में लगे है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि पड़ोसी जिला महाराजगंज की फरेंदा सीट से कांग्रेस के विधायक वीरेन्द्र चौधरी भी इस सीट से टिकट पाने के प्रयास में हैं। वह काफी मेहनत भी कर रहे हैं।
अगड़ा, पिछड़ा अल्पसंख्यक में कौन
सूत्र बताते हैकि यदि डुमरियागंज सीट कांग्रेस के हिस्से में गई तो यहां टिकट का फैसला वर्ग के आधार पर होगा। यदि पार्टी ने ब्राहमण को टिकट देकर मुस्लिम, यादव व ब्राह्मण का गठजोड बनाया तो नर्वदेश्वर शुक्ल यकीनन मजबूत कंडीडेट साबित होगें। मगर यदि उसने पिछ़ड़ा कार्ड खेला तो सपा के कोर वोट यादव सहित मुस्लिम और कुर्मी मतदाताओं के मद्देनजर विधायक वीरेंद्र चौधरी सबसे ताकतवर उम्मीदवार होंगे। लेकिन यदि कांग्रेस ने मुस्लिम को लड़ाना चाहा तो मोहम्मद मुकीम व अरशद खुर्शीद में से वह अरशद पर दांव लगाना पसंद करेगी। कांग्रेस पार्टी का मानना है कि सीनियर और जनाधार वाले नेता होने के बावजूद भी अब चुनाव महंगा हो जाने तथा उम्र बढ़ने से उनकी शाररिक व आर्थिक क्षमता घट चुकी है। जबकि कांग्रेस भी अब अपने उम्मीदवारों की बहुत आर्थिक मदद कर पाने की हालत में नहीं है। फिलहाल कांग्रेस पार्टी टिकट किसे देगी यह तो उसकी चुनाव रणनीति पर निर्भर है मगर कांग्रेस के कई उम्मीदवार आलाकमान के कैंप में जिस प्रकार अपनी गोट बिछा रहे हैं उससे तो यही लगता है कि बदले सियासी हालात में डुमरियागंज सीट के कांग्रेस खेमे में जाने के आसार बढ़ गये हैं।