डुमरियागंज सीटः  किरायेदारों की पार्टी बन कर रह गई कांग्रेस, डा. चन्द्रेश ने भी कहा अलविदा कांग्रेस

March 7, 2024 12:52 PM0 commentsViews: 944
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नेता आते हैं टिकट लेते हैं और चुनावी हारजीत के बाद किरायेदार की तरह छोड़ जाते हैं कांग्रेस, एक और दिग्गज के पार्टी छोड़ने की चल रही है चर्चा

नजीर मलिक

चित्र—- कांग्रेस छोड़ भाजपा ज्वाइन करते डा. चन्द्रश उपाध्याय

सिद्धार्थनगर। कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता चन्द्रेश उपाध्याय ने भी पार्टी को बाय बाय कह दिया। बुधवार उन्होंने कांग्रेस छोड़ भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ले ली। उनका  दल त्याग करना जिला कांग्रेस के लिए सदमें से कम नहीं है।  डा. चन्द्रेश गत चुनाव के समय पार्टी में आये थे और इस चुनाव के समय छोड़ गये। अतीत में भी कांग्रेस के साथ ऐसे किस्से हो चुके हैं। इससे लगता है कि सिद्धार्थनगर में कांग्रेस पार्टी एक ऐसे मकान के रूप में खड़ी है, जिसमें बाहर के नेता किरायेदार के रूप में आते हैं और कुछ समय बिता कर चले जाते हैं।

2007 से शुरू हुईकिरादारी की कहानी

सिद्धार्थनगर कांगेस में किरायेदारी प्रथा 2007 में शुरू हुई। उस समय पूर्वविधायक पप्पू चौधरी सपा छोड़ कर कांग्रेस पार्टी में आये और विधायक बने। इसके बाद पार्टी छोड सपा में चले गये। सपा छोड़ कर वह पुनः एक बार कांग्रेस में आये और अब घर बैठे हैं। लेकिन कियेदारी की असली कहानी २०१४ के संसदीय चुनाव से शुरू हुई। उस समय वर्तमान सांसद जगम्बिका पाल कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में चले गये तो उनके मुकाबले बांसी के तत्कालीनविधायक जय प्रताप सिंह की पत्नी वसुंधरा प्रताप कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरीं। 2014 के चुनाव में वे 88117 वोट पाकर हार गई और इस हार के बाद उन्होंने पार्टी को अलविदा कह दिया। फिर आया 2019 का चुनाव। इस चुनाव में एक बार फिर नये किरायेदार के रूप में डा. चन्द्रेश उपाध्याय का प्रवेश हुआ। कांग्रेस ने उन पर भरोसा करते हुए कांग्रेस से टिकट दिया। इस चुनाव में डा. चन्द्रेश को एक लाख से कम  वोट मिले। ऐसा लग रहा था कि चन्द्रेश उपाध्याय पार्टी में रह कर काम करेंगे, लेकिन उम्मीद के विपरीत 2024 के चुनावों से ठीक पहले कल यानी बुधवार को कांग्रेस को गुडबाय कहते हुए भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया।

पार्टी निष्ठावानों को दे वरीयता

अब सवाल उठता है कि कांग्रेस पार्टी अपने निष्ठावान काडर पर भरोसा करने के पर क्यों निर्भर हो रही है। जबकि हारने के बाद पार्टी छोड़ देना उनकी नियति होती है। बता दें कि कांग्रेस  चुनाव लड़ने वाले निष्ठावान कार्यकर्ताओं की कमी नहीं है। पार्टी के पास नर्वदेश्वर शुक्ला, मुहम्मद मुकीम, सच्चिदा पांडेय और ठाकुर प्रसाद जैसे तपे तपाये नेता है। जो हारने के बाद पार्टी के प्रति वफादार रहने वाले लोग हैं। इसके बावजूद कांग्रेस किरायेदारी प्रथा चलाना चाहती है तो यह उसकी सेहत के लिए ठीक नहीं है। इससे कांग्रेस कमजोर ही होगी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सच्चिदानंद पांडेय कहते हैं कि कांग्रेस कोनिष्ठावान वर्करों पर ही भरोसा करना होगा। यही लोग पार्टी के लिए हर कुर्बानी देने में सक्षम होंगे।

क्या कहते हैं जिलाध्यक्ष

इस बारे में कांग्रेस के जिलाध्यक्ष काजी सुहेल अहमद का कहना है कि टिकट कानिर्धारण पार्टी के आला कमान का काम है। लेकिन वे इतना जरूर कह सकते हैं कि यदि बाहर से आये नेताओं के स्थान पर कांग्रेस के पुराने नेताओं मसलन नर्वदेश्वर शुक्ल जी, मोहम्मद मुकीम साहब आदि पर दांव लगाया जाये तो पार्टी का प्रदर्शन अच्छा रहेगा। यह पार्टी की मजबूती के लिए भी टानिक का काम करेगा। वह कहते हैं कि भविष्य में कांग्रेस कह देश के लिए कुछ बेहतर करने वाली है। इसलिए कांग्रेस का वर्कर राहुल गांधी के नेतृत्व में बहुत उत्साहित है।

 

 

 

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