सपा से समझौते की हलचलों से कांग्रेस खेमे में मायूसी
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। अखिलेश यादव की पुरानी सपा रहे या वह नईपार्टी बनायें, आसारकुछऐसे बन रहे हैं कि वह कांग्रेस से गठबंधन जरूर करेंगे। गठबंधन की हलचल को ज्यों ज्यों तेज होती जा रही है, त्यों त्यों जिले में कांग्रेस कांग्रेस के दावेदारों की मायूसी बढ़ती जा रही है। १९८९ में जिले की पांच सीटों पर हुए अब तक के चुनावों कांग्रेस सिर्फ तीन बार जीत पाई है। २००७ में आखिरी बार सदर सीट से कांग्रेस के ईश्वर चन्द्र शुक्ल जीते थे।
१९८९ में कांग्रेस का पराभव होने के बाद से जिले में कांग्रेस का वोट निरंतर घटने लगा। पिछले २६ सालों में कांग्रेस का वोट ३४ प्रतिशत से घट कर १२ प्रतिशत ही रह गया है। गत २०१२ के चुनाव में कांग्रेस सभी पांच सीटों पर लड कर ११ प्रतिशत वोट हासिल कर सकी थी और उसके सारे उम्मीदवार चौथे पांचवें नम्बर पर रहे थे।
इस बार स्थानीय कांग्रेसी बहुत उम्मीद में थे। उन्होंने अपने क्षेत्रों में काफी मेहनत भी की थी। उन्हें उम्मीद थी कि इस बार उनके प्रदर्शन में काफी सुधार होगा, लेकिन समझौते की हलचलों ने उन्हें मायूस कर दिया है। क्योंकिउन्के प्रदर्शन के आधार पर सपा उन्हें कोई सीट नहीं देने वाली।
वैसे भी जिले में सपा के चार विधायक हैं। बांसी में सपा का उम्मीदवार मात्र २ हजार वाटों से हारा है। वह जिले में सपा का एकमात्र यादव प्रत्याशी है। ऐसे मेंनहीं लगता कि कांग्रेस को कोई सीट दी जाएगी।कांग्रेसी इस बात को अच्छी तरह समझते हैं। उनकी मायूसी की यही असली बजह है।