सिद्धार्थनगर का विकास करना है तो बुद्ध का अस्थिकलश लाइये जनाबǃ
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। कपिलवस्तु की खुदाई के दौरान मिला अस्थिकलश दिल्ली के संग्रहालय मे कैद है और उसकी साथ कैद है समूचे सिद्धार्थनगर का विकास। जिले को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में कलश की भूमिका निर्णायक हो सकती है, लेकिन इसे सिद्धार्थनगर लाने का कोई प्रयास नहीं हो रहा है।
गौतम बुद्ध की राजधानी की तलाश के लिए जिला हेडक्वार्टर से 20 किमी दूर सरदार नगर और गनवरिया की खुदाई पुरातत्व विभाग ने की थी। 1974 में खुदाई के दौरान वहां से गौतम बुद्ध का अस्थिकलश और तमाम प्रमाण मिले थे, जिसके बाद उस स्थल को दुनियां में प्राचीन कपिलवस्तु के रूप में मान्यता मिली।
दुनियां के 4 सौ करोड बौद्ध धर्म मानने वालों के लिए वह अस्थिकलश बेहद पवित्र है, लेकिन वह दिल्ली के संग्रहालय में सुरक्षित रख हुआ है। अगर वह अस्थिकलश कपिलवस्तु में होता तो उसे देखने के लिए प्रति वर्ष लाखों विदेशी पर्यटक यहां आते इससे पर्यटन अधारित रोजगार को बढ़ावा मिलता।
पर्यटकों के आने से क्षेत्र में होटल, जलपान गृह आदि के साथ टेराकोटा, दस्तकारी आदि के माध्यम से हजारों लोगों को रोजगार मिलता। अगर कपिलवस्तु से सटे मझौली झील का विकास हो जाता तो कम से रोजगार के अवसर और बढ़ जाते। यहां विकास का आयाम क्या होता, उसे यहां से २० किम दूर लुम्बिनी का विकास देख कर महसूस किया जा सकता है।
हैरत है कि जिले के राजनेता कलश को सिद्धार्थनगर लाने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे। पिछले वर्ष यूपी विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांउेय ने कलश को लाने का वादा किया था, जो पूरा नहीं हुआ। इस बारे में श्री पांउेय का कहना है कि सरकारी स्तर पर प्रयास चल रहे हैं, इसमें समय लगेगा, जबकि मनीराम बौद्ध का कहना है कि इसके लिए यहां के लोगों को सड़क पर उतर कर आंदोलन करना होगा।
क्या है अस्थिकलश?
गौतम बुद्ध के मृत्यु के बाद उनकी अस्थियों को आठ हिस्सों में बांट कर उन्हें अलग अलग कलष में रख कर आठ स्थानों पर सुरक्षित रखा गया था। उन्हीं में से एक कलश उनके गृहनगर कपिलवस्तु में भी रखा गया था, जो सन 1974 में खुदाई के दौरान बरामद हुआ था। यह अस्थिकलश बौद्ध धर्म वालों के लिए बेहद पवि़त्र माना जाता है।
10:59 AM
pavitra bhumi ko naman! bhagwan ke asthi kalash ko vapas lane se hamare zila ko apna gaurav vapas milega.vishwa mien hamari pahchan nikharegi. aaeye hum sab milkar eska samarthan karen.