वाह रे अखिलेश राज! पहले 22 पिछड़ों को नौकरी दी, फिर सड़क पर खड़ा कर दिया
नजीर मलिक
वैसे तो अखिलेश सरकार समाजवादी है, मगर अक्सर आरोप लगता है कि वह समाजवादी के साथ पिछड़ावादी भी है। बावजूद इसके अखिलेश राज में सिद्धार्थनगर जिले में पहले कट आफ मेरिट के आधार पर 22 पिछड़ा युवाओं को सहायक अध्यापक पद के लिए चयनित किया गया। लेकिन जब चयन सूची प्रकाशित हुई तो उनका नाम नहीं था। इस घटना से यहां हंगामा खड़ा हो गया है। सभी युवा एक ही झटके में सड़क पर आ गये हैं।
बताया जाता है कि सहायक अध्यापकों का अंतिम कट आफ मेरिट 65.49 पर बंद हुआ। इसके तहत लोकेन्द्र कुमार, अनिल कुमार यादव, पंकज यादव, सत्येन्द्र वर्मा, विनोद पटेल, धीरेन्द्र यादव आदि 25 अथ्यर्थी अंतिम कट आफ में शामिल हो गये। पिछले साल अक्टबर में उनकी कांउसलिंग भी कर ली गई और उनके मूल प्रमाणपत्र भी जमा करा लिए गये।
नियम है कि कट आफ मेरिट के अंतिम परीक्षण के बाद एक सप्ताह के अंदर अथ्यर्थियों को मेरिट में आन या न आने की सूचना दी जाती है। मेरिट से हटने वाले लोगों को बता दिया जाता है। यहां किसी को न तो मेरिट से बाहर होने की सचूना दी गई, न ही उनके प्रमाणपत्र लौटाये गये।
पीड़ित सत्येन्द्र वर्मा का कहना है कि वह बाहर के जिले के हैं। वह कई बार अपना मूल प्रमाण पत्र लेने बीएसए कार्यालय आये तो उन्हें बताया गया कि आप सबका चयन हो गया है। इस लिए प्रमाणपत्र यहीं रहने दें। उसकी कभी जरूरत पड़ सकती है।
18 सितंबर को जब आन लाइन रिजल्ट आया तो पता चला कि 25 में से 22 अभ्यर्थी चयनित सूची से बाहर है। इसकी जानकारी के बाद परेशान छात्र भागे हुए शनिवार को बेसिक शिक्षा कार्यालय पहुंचे, तो बीएसए ने कुछ भी जानकारी देने से इंकार कर दिया।
इस बारे में बेसिक शिक्षा अधिकारी का कहना है कि यह निर्णय उनके सिद्धार्थनगर में ज्वाइन करने से पहले का है। इसलिए वह इस बारे में कुछ नहीं बता सकते हैं।
दूसरी तरफ उक्त सभी युवाओं का कहना है कि जब वह कट टाफ मेरिट में थ,े तो वह चयन सूची से बाहर कैसे हुए। अगर कोई कारण था तो उनके प्रमाणपत्र क्यों रोके गये। मांगने पर क्यों बार बार कहा गया कि आपका चयन हो गया है। प्रमाण पत्र यहीं रहने दें, ताकि कभी जरूरत पड़ने पर वह तत्काल मिल सके। सभी पीड़ितों ने मुख्यमंत्री से प्रकरण की जांच की मांग की है।