घर में घुसकर मारपीट करते हुए दलित उत्पीड़न के आरोपी कोर्ट से बरी
देवेश श्रीवास्तव
सिद्धार्थनगर। अपर सत्र न्यायाधीश एससी एसटी एक्ट चन्द्रमणि ने घर में घुसकर दलित उत्पीड़न करते हुए मारपीट करने के तीन आरोपियों को दलित उत्पीड़न, घर में घुसने के आरोपों से बरी करते हुए साधारण मारपीट का दोषी पाकर उन्हें दण्ड न देते हुए परिवीक्षा का लाभ देकर रिहा किया।
उसका बाजार थानाक्षेत्र के ग्राम महुलानी निवासी ग्राम प्रधान संगीता के पति सूर्य प्रकाश पुत्र खेदू धोबी ने आरोप लगाते हुए थाने पर तहरीर दिया था कि 6 फरवरी 2011 को गाँव पर ही मनरेगा से तालाब के सुंदरीकरण का कार्य चल रहा था उसी दौरान करीब 11 बजे गाँव निवासी रंगनाथ पाण्डेय अपने पुत्रों प्रभात व मुन्नू तथा नीरज पाण्डेय पुत्र अमरीश पाण्डेय को लेकर आये और अपने आप को मेठ बताते हुए मजदूरों से हाजिरी लेने लगे मेरे मना करने और यह बताने पर कि मेरी मेठ सीमा पाण्डेय हैं तो वो लोग नाराज होकर मेरा कालर पकड़ कर मुझे मारने पीटने लगे।
रंगनाथ पाण्डेय मेरे ऊपर कुदाल तान लिए उसी वक्त मेरी पत्नी बचाने आयी तो उसे दूर झटक दिया जिससे उसकी चूड़ियाँ टूट गईं और पायल गिर गया। हमलोग जब घर गए तो उक्त लोग मेरे घर आकर तोड़फोड़ करते हुए अटैची का ताला तोड़कर उसमें रखा 50 मजदूरों का जॉबकार्ड कहीं फेंक दिए और मोटरसाइकिल भी पंचर कर दिए। गाँव वालों के दौड़ाने पर गली व जानमाल की धमकी देते हुए चले गए। पुलिस ने घर में घुसकर मारपीट करने, दलित उत्पीड़न जानमाल की धमकी एवं संपत्ति को नुकसान पहुँचाने का एफआईआर दर्ज कर विवेचनोपरांत न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया।
न्यायालय ने मामले का संज्ञान लेकर विचारण किया और विचारण के दौरान उपलब्ध साक्ष्यों, चिकित्सा रिपोर्ट व मामले के तथ्यों व परिस्थितियों को देखते हुए आरोपी नीरज को सभी आरोपों से दोषमुक्त करार देते हुए रंगनाथ पाण्डेय, प्रभात व मुन्नू को भी घर में घुसने, जानमाल की धमकी, दलित उत्पीड़न व सम्पत्ति को नुकसान पहुँचाने के आरोपों से बरी करते हुए महज साधारण चोट कारित करने का दोषी पाया। न्यायालय ने उक्त तीनों आरोपियों को दण्ड न देकर एक वर्ष तक सदाचरण बनाये रखने की परिवीक्षा का लाभ देते हुए रिहा किया। न्यायालय में आरोपियों की पैरवी अधिवक्ता कृपाशंकर त्रिपाठी एवं विनायक मिश्रा ने किया।