बच्चों के चतुर्दिक विकास में माताओं की भूमिका अहम- बीपी त्रिपाठी
डीएवी स्कूल भीमापार में आयोजित हुआ मातृ सम्मेलन
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। बच्चों के चतुर्दिक विकास में उनके माँ की अहम भूमिका होती है, क्योंकि माँ ही बच्चे की प्रथम गुरु व परिवार ही प्रथम पाठशाला होता है। उन्होंने कहा कि वास्तव में माँ ही बच्चे की प्रथम गुरु होती है, क्योंकि हम सभी के बच्चे सबसे अधिक समय अपने माता के पास ही व्यतीत करते है, इसलिए उनके उचित रहन सहन तथा कमियों को सुधारने के लिए माताएँ महती भूमिका निभाती है।
उक्त विचार डी ए वी एजुकेशनल एकेडमी भीमापार के प्रांगण में आयोजित मातृ सम्मेलन में विद्यालय के डायरेक्टर बीपी त्रिपाठी ने व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के आयोजन का मुख्य उद्देश्य बच्चों को घर पर उनकी माताओं द्वारा विशेष देख-रेख एवं आपसी चर्चा के लिए किया गया है। जिससे बच्चे के प्रगति में आ रही कमियों को दूर किया जा सके। उन्होंने कहा कि वास्तव में माँ ही बच्चे की प्रथम गुरु होती है, क्योंकि हम सभी के बच्चे सबसे अधिक समय अपने माता के पास ही व्यतीत करते है, इसलिए उनके उचित रहन सहन तथा कमियों को सुधारने के लिए माताएँ महती भूमिका निभाती है।
श्री त्रिपाठी ने बताया कि इस वर्ष विद्यालय में अंग्रेजी और हिंदी दोनों माध्यमों से शिक्षा प्रदान की जाएगी। कक्षा नर्सरी से 10 तक सीबीएससी बोर्ड इंग्लिश मीडियम तथा 6 से 10 तक अलग भवन में यूपी बोर्ड हिंदी माध्यम की कक्षाएं संचालित की जाएंगी। सम्मेलन में विद्यालय प्रबन्ध समिति के सचिव अरविन्द झा, अध्यक्ष विनोद त्रिपाठी, प्रशान्त त्रिपाठी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। स्कूल के एडी डॉ पी के त्रिपाठी, लाल चंद नायक ने आगन्तुकों का आभार व्यक्त किया।
इस दौरान विद्यालय की छात्राओं ने मातृ गान सहित अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का सफल संचालन स्कूल की शिक्षिका सान्या ने किया। कार्यक्रम में विद्यालय के शिक्षक विनोद चौधरी, अब्दुल्लाह सिद्दीकी, सुप्रिया श्रीवास्तव, साक्षी, शिखा, शिवानी, निशा अभिषेक मिश्रा, विनय पांडेय आदि लोग मौजूद रहे।