दो साल के बेटे और उसकी मां को नाग ने डंसा, पिता गये थे बैजनाथ धाम, पूरे इलाके में कोहराम
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। सत्ताइस साल की गुडिया चौधरी और उसके 2 साल के बेटे सूर्यांश के मौत की टीस अभी तक लालपुर के ग्रामवासियों दिलों से गई नहीं है। गुड़िया के पति मोनू चौधरी की आखों से दर्द का सागर लहू बन कर टपक रहा है। वह रह रह कर अभी भी पत्नी गुडिया और मासूम सूर्यांश का नाम लेकर तड़प उठते हैं। हालांकि दोनों की लाशों को जहां दफनाया गया उसकी मिट्टी धीरे धीरे सूखने की ओर अग्रसर है, मगर मोनू की आखों से पत्नी और बेटे की यादो की बरखा अभी भी रिमझिम कर रही है।
गुडिया और सूर्यांश को जब सांप ने डंसा तो गुड़िया के पति, 30 साल के मोनू चौधरी शिव स्थल बैजनाथ गये थे। वहीं उन्हें खबर मिली की शुक्रवार की रात 11 बजे बिस्तर पर उनकी पत्नी और बेटे को जहरीले नाग ने डंस लिया है। खबर पाकर मोनू चौधरी तत्काल घर के लिए रवाना हो गये। उन्हें पूरी उम्मीद थी भगवान शिव गले में सांपों को पालते हैं। गले में जहर को रोकते हैं। ऐसे में वह जरूर अपने बेटे और पत्नी की रक्षा करेंगे, मगर वह घर शनिवार को ही पहुंच पाये जबकि उनकी पत्नी और बेटे रात में ही अनन्त यात्रा पर जा चुके थे।
सांप के डंसने के बाद दोनों को पहले शोहरतगढ़ सीएचसी ले जाया गया। सीएचसी में एंटी स्नेक वेमन न होने की वजह से उन्हें एमपीटी मेडिकल कालेज सिद्धार्थनगर ले जाया गया। वहां से बीआरडी मेडिकल कालेज गोरखपुर भेजा गया। इतनी देर में दोनों मां बेटे की मौत हो गयी। इस घटना से गांव में कोहराम मचना स्वाभाविक ही था। अब यहां यह सवाल शिदृत से बनता है कि जब जिले का मेडिकल कालेज सर्पदंश जैसी घटना के पीडितों को गोरखपुर मेडिकल कालेज रेफर करता है तो वह भला यहां वह इलाज किस मर्ज का करता है?
उल्लेखनीय है कि मृतका गुड़िया के दो लड़के हैं। पहला लड़का आंनद चार साल का है। छोटा सूर्यांश दो वर्ष का। सूर्यांश और मां की मौत के बाद आनंद के सिर से ममता का साया उठ गया वह अपनी मां को लोगों के बीच में खोज रहा है। उसका रुदन देख कर ग्रामीणों का कलेजा मुंह को आ रहा है और सोनू चौधरी को तो मानों अपना होश ही नहीं है। याद रहे कि शुकवार रात को भोजन के बाद जब गुड़िया चौधरी अपने दो साल के बेटे को लेकर सोने की कोशिश कर रही थी, तभी 11 बजे रात में गेंहुअन ने पहले बेटे सूर्यांश के पैर में फिर मां गुड़िया के कंधे पर डंस लिया। गुड़िया की चीख सुन कर घर के लोग भाग कर आये मगर उन दानों को बचाया न जा सका।