दीनदयाल जयंती पर नहीं लगे विकास के स्टाल, नहीं आये किसान, फरमाइशी गीत सुनते रहे अफसर

May 26, 2017 4:27 PM0 commentsViews: 374
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अजीत सिंह

 

हजारों की रकम खर्च करने के बावजूद प्रतियोगिता में सूने पड़े स्टाल

शासन का रुपया खर्च करने के बावजूद प्रतियोगिता में सूने पड़े स्टाल

 

सिद्धार्थनगर। भाजपा के प्रणेता और एकात्म मानववाद के सिद्धांतकार पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्म शताब्दी वर्ष का दूसरा दिन मजाक बन कर रह गया।इस दिन यहां लोहिया कला भवन में  किसान गोस्ठी और विकास के स्टाल लगने थे। मगर गोष्ठी में कोई किसान रहा ही नहीं।मंच पर एक गायक था। अफसर उससे फरमाइश कर रहे थे और वह गाना गा रहा था।

अन्त्योदय मेला एवं प्रदर्शनी के तहत प्रांगण में लगाये गये स्टाल सरकारी मंशा को मुंह चिढा रहे थे। न तो स्टाल पर कोई वस्तु दिखायी दे रही थी, और न कोई मौजूद था। इस सम्बन्ध में जब डिप्टी डायेक्टर एग्रीकल्चर से पूछा गया कि मेले में स्टाल कहां गायब हो गये हैं, तो उन्होंने बड़ी बेबाकी और बेखौफ अंदाज में कहा कि मेले में स्टाल नहीं लगे तो हम क्या करें। डीडी की उक्त अभिव्यक्ति निश्चित ही मेले एवं प्रदर्शनी में लगाये गये स्टाल के प्रति गैर जिम्मेदाराना है।

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पहले दिन तो प्रदेश के कैबिनेट मंत्री, सांसद, विधायक एवं जिला के आला अधिकारियो ने पं दीनदयाल उपाध्याय की शताब्दी वर्ष पर अन्त्योदय मेला एवं प्रदर्शनी तथा उत्पादक गोष्ठी का शुभारम्भकिया। किन्तु दूसरे दिन मेले में न तो कोई किसान उपस्थित दिखायी दिया और न ही स्टाल पर कोई सामान। अलबत्ता खाली स्टाल ही लगे रहे। जिसका जीता जागता प्रमाण लिए गये चित्र है। जो इस बात के साक्षी है कि स्टाल प्रदर्शनी शासन की मंशा को पलीता लगा रहा हेै।
इतने बड़े नेता की जन्मशती पर सरकारी आदेश के खिलाफ फिलमी गाने सुनना और धन का दुरुपयोग करना लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। प्रदर्शनी के सम्बन्ध में जिला कृषि अधिकारी एसएन चौधरी से वार्ता की गयी तो उन्होंने कहा कि कल हम लोगों की जिम्मेदारी थी आज डीपीआरओ, बीएसए, एवं अन्य सम्बन्धित अधिकारियों की जिम्मेदारी है।

 

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