मधेशियों की मांगे न मानी गई तो नेपाल में बड़ा आंदोलन होगा– महंथ ठाकुर
सग़ीर ए खाकसार
कृष्णानगर, नेपाल। मधेशी समुदाय पिछले कई वर्षों से नेपाल में अपने अधिकारों और नए संविधान में अपनी सहभागिता, स्वायत्त मधेश प्रदेश, आदि मांगों को लेकर संघर्षरत रहा है।प्रादेशिक संरचनाऔर सीमांकन को लेकर मधेशी समुदाय संविधान में संशोधन चाहता है।नेपाल के ताज़ा हालात पर वरिष्ठ पत्रकार सग़ीर ए खाकसार ने मधेशी संयुक्त मोर्चा के संयोजक और तराई मधेश लोकतान्त्रिक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत ठाकुर से बात चीत की।पेश है बात चीत के मुख्य अंश।
सवाल- मधेशी समुदाय की क्या समस्या है?
जवाब- नेपाल में मधेशी, थारू, जनजाति, व धार्मिक अल्पसंख्यक हाशिये पर है।सदियों से ये उपेक्षित हैं और इनका शोषण राजनीतिक निहितार्थ के लिए किया जाता रहा है। मधेशी समुदाय की समस्या के समाधान हेतु यह ज़रूरी है नेपाल के संविधान में संशोधन किया जाये। यदि संविधान संशोधन कर समस्या का हल नहीं निकाला गया तो मधेशी, थरुहट व जनजाति के लोग का विकास अवरुद्ध होगा। इनकी राजनैतिक सहभागिता भी नहीं हो पायेगी।
सवाल- प्रदेश के गठन को लेकर क्या पेचीदगियां है ?
जवाब- हम शुरू से ही स्वायत्त मधेश प्रदेश की मांग कर रहे हैं।जिससे मधेसी समुदाय की प्रत्येक क्षेत्र में सहभागिता सुनिश्चित हो सके।फ़िलहाल जो प्रदेश प्रस्तावित हो उसमे कई खामियां हैं।जनसँख्या के हिसाब से मधेसी समुदाय राजनैतिक अधिकारों से बंचित रहेगा।
सवाल- किस तरह से प्रदेश के सीमांकन की आपलोग मांग करते हैं?
जवाब- सीमांक ऐसा होना चाहिए जिसमे हमारी भागीदारी हो।मधेशी बाहुल्य जिलों को शामिल करना चाहिए।नेपाल के पूर्वी ज़िले झापा, मोरंग, सेंसरी,सप्तरी, सिरहा, व उदयपुर आदि क्षेत्रों को एक प्रदेश में शामिल करना चाहिए।इसके अलावा नेपाल के पश्चिम के कैलाली के कुछ भाग को वर्दियां जिले से जोड़कर भी समस्या का हल निकाला जा सकता है।
सवाल- सरकार का फ़िलहाल रुख क्या है?
जवाब- सरकार के साथ हमारे तीन समझौते हुए थे ।जिसमें कुछ का क्रियान्वयन हुआ है।फ़िलहाल हम सरकार के साथ पूरा सहयोग कर रहे हैं।सरकार को चाहिए क़ि हमारी मांगों को पूरा करे।
सवाल- अपनी मांगों को लेकर क्या कोई आंदोलन की रणनीति बनाई गयी है?
जवाब- संविधान किसी एक दल ,ब्यक्ति व् पार्टी का नहीं होता है। देश का होता है।जिसमे सभी की आकांक्षाओं को पूरा करना होता है। अगर मांगे नहीं मानी गयीं तो मधेशी मोर्चा शेष घटक दलों से बात कर आंदोलन की रणनीति बनायेगा।
सवाल- भारत में हुए नोट बंदी का नेपाल पर क्या असर है?
जवाब- काफी प्रभावित हुए है हम सब। सीमा क्षेत्र में भारतीय मुद्रा का संचालन नेपाल बडे पैमाने पर होता है।भारत में काम करने वाले लोग यहाँ अपने घरों पर भारतीय मुद्रा भेजते है। नोट बंदी से दिक्कत तो हुई हैं। हम भी प्रभावित हैं।