घूंघट की ओट में मुखिया, अंधेरे में पंचायती राज
हमीद खान
सिद्धार्थनगर। शासन महिलाओं को पंचायतों में तैंतीस प्रतिशत आरक्षण दे कर उन्हें समाज में आगे लाने को कार्य कर रहा है। लेकिन अभी भी आधी आबादी घूंघट के दायरे से बाहर नहीं निकल पा रही है।
चुनाव में उनके पति, देवर, ससुर ने कडी मेहनत कर के चुनावी वैतरणी पार तो कराई, लेकिन बिना प्रत्याशी के प्रमाण पत्र न देने पर महिलाओं को आर ओ के समक्ष उपस्थ्ति होना पडा। गांव की विजयी मुखिया मतगणना स्थल पर आयीं तो मगर उन के मुंह से घूघंट नही हट सका।
जिले की तकरीबन चार सौ ग्राम ग्राम पंचायतों में महिलाओं ने ही कब्जा जमाया है। चुनावी नतीजे भले ही उन के पक्ष में हों, लेकिन असली चेहरा उनके पति‘ ससुर के साथ देवर हैं। जिन्होंने कड़ी मेहनत से विजय दिलाई।
महिला मुखिया चुनी गई महिलाओं को शायद यह भी नहीं मालूम है कि गांव में कितने मत पडे थे और कितने लोगों ने अपना समर्थन दिया था। जब वे अपना प्रमाण पत्र लेने कालेज पहुंची तो भी उन का घूंघट नही हट सका।
लेकिन समाज विज्ञानी कहते हें कि धमी गति से ही सही अब हालात बदल रहे हैं। आने वाले कुछ दिनों में स्थिति में सुधार होगा। महिलाएं खुद आगे निकलेंगी। शुरुआत हो चुकी है।