न तो जांच किट है, न ही बेड, कैसे होगा डेंगू मरीजों का इलाज
संजीव श्रीवास्तव
देश की राजधानी दिल्ली समेत कई महानगरों में डेंगू ने कोहराम मचा रखा है, इसके आतंक को देखते हुए हर स्थान पर इसके रोकथाम की व्यवस्था की जा रही है, मगर नेपाल सीमा से सटे सिद्धार्थनगर जिले का सेहत मोहकमा कागजी तैयारी कर अपनी पीठ थपथपा रहा है।
जिला अस्पताल हो या फिर सिद्धार्थनगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, अब तक डेंगू की जांच के लिए किट उपलब्ध नहीं है। जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा ओ पी सिंह ने बताया कि पन्द्रह दिन पहले ही इसकी डिमांड शासन को भेज दी गयी थी, मगर आज तक आ नहीं पायी है।
इसके अलावा सिद्धार्थनगर में डेंगू पीड़ित की प्लेटलेटस बदलने की भी सुविधा नहीं है। डेंगू मरीजों को रखने की भी किसी भी अस्पताल में सुविधा मौजूद नहीं है। सवाल उठता है कि अगर खुदा न खास्ता सिद्धार्थनगर में किसी को डेंगू होता है, तो उसका इलाज स्थानीय स्तर पर तो संभव नहीं है और दूसरी जगह ले जाने में जो समय लगेगा, उस दौरान रोगी की मौत भी हो सकती है।
इस सिलसिले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा सतीश कुमार से जब पूछा गया तो उन्होंने चुप्पी साध ली, केवल इतना ही कहा कि जो सुविधा उपलब्ध है, उसी से डेंगू मरीजों का इलाज किया जायेगा। जिंदगी और मौत तो भगवान के हाथ में है। डेंगू एंडीज इजिप्टी नामक मच्छर के जरिए फैलता है। यह ऐसे जगह रहते हैं, जहां काफी दिनों तक जल-जमाव रहता है। सिद्धार्थनगर में ऐसे स्थानों की कोई कमी नहीं है।
शहर के चिकित्सक डा ओ पी श्रीवास्तव बताते हैं कि तेज बुखार, सिरदर्द, शरीर में चकत्ते, मांश पेशियों व हडडियों में दर्द, पेट खराब होना, दर्द व कमजोरी डेंगू के लक्षण है। इससे बचाव के लिए लोगों को मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए। शरीर में पानी की कमी नहीं होनी देनी चाहिए। घर के आस-पास पानी एकत्र नहीं होने देना चाहिए। अपने से कोई दवा नहीं लेनी चाहिए और अधिकांश समय शरीर को कपड़ों से ढका रहना चाहिए।