हैरतअंगेज कौमी एकताः जहां मस्जिद परिसर में जम कर खेलते हैं होली, उड़ते हैं अबीर गुलाल,
अजीत सिंह
“होली के अवसर पर यूपी के बाराबंकी जिले के देवा शरीफ कस्बे में हजरत वारिस अली शाह की दरगाह में जम कर अबीर गुला उड़े। क्या हिंदू, क्या मुसलमान सभी ने जम कर एक दूसरे पर अबीर उड़ाये। साम्प्रदायिक एकता कि मिसाल देवा शरीफ से ज्यादा कहीं शायद ही देखने को मिले। यहां मस्जिद परिसर में भी अबीर गुलाल उड़ते रहे।”
भारत की प्रमुख खानकाहों में से एक देवा शरीफ दरगाह में कल उत्सव का माहौल रहा। हजरत वारिस अली शाह की इस दरगाह पर हिंदू मुसलमान का भेद नहीं था। बस अबीर गुलाल से रंगे सारे चेहरे एकसां थे और मुकम्मल इंसान होने की गवाही दे रहे थे। लोग कह भी रहे थे कि एकता कि इससे बड़ी मिसाल भारत में कहीं नहीं मिलेगी।
देवा शरीफ
देवा शरीफ महान संत वारिस अली शाह की दरगाह के रूप में पूरे भरत में प्रसिद्ध है। यहाँ एक मस्जिद है जिसका नाम है “पंडित दीन दयाल शाह”। जिसमें मुसलमान पांच वक्त की नमाज अदा करते हैं। यहाँ की होली भी दरगाह कैंपस में बहुत उल्लास के साथ खेली जाती है। देवा को “क़ौमी एकता की नगरी” कहा जाता है। देवा में आने के लिए एक बड़ा दरवाज़ा बना है जिसका नाम “क़ौमी एकता गेट” है। हाजी वारिस अली शाह ने क़ौमी एकता का पैग़ाम दिया।
देवा में चलता है सदा शाकाहारी लंगर
एकता से मतलब केवल मुस्लिम-मुस्लिम एक होना या केवल हिन्दू-हिन्दू एक होना नहीं बल्कि धर्म, जाति और जेण्डर की बन्दिशों को तोड़कर एक इन्सान होने के नाते एक होना है। दरगाह में ज़ायरीनों के लिए लंगर का इंतेज़ाम है और ख़ास बात ये है कि यहाँ कभी नॉनवेज नहीं बनता। हमेशा दाल और रोटी दिन और रात मिलती है जिससे कि सभी धर्म के ज़ायरीन खा सकें। भारत भर में खोजें तो लाखों ऐसे उदाहरण मिलेंगे। असल में असली भारतीयता यही है।