विजय हत्याकांडः ग्रामीण कहते हैं कि मोहाना पुलिस की साजिश से मारा गया विजय
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। जिले के मोहाना थाना के धनगढ़वा गांव के 24 साल के विजय ऊर्फ चीनक की मौत ने नया मोड़ ले लिया है। नेपाल सीमा से सटे इस गांव के ग्रामीणों का आरोप है कि अगर मुकामी पुलिस अपने हाथों से विजय को नेपाल पुलिस को न सौंपती तो उसकी मौत नहीं होती। हालांकि मोहाना पुलिस का दावा है कि नेपाल पुलिस की पकड़ से भागने के दौरान गत सोमवार को विजय की मौत हुई। सीओ सदर ने विजय की मौत की जांच की बात कही है, लेकिन सपा नेता विजय पासवान ने इसे भारतीय पुलिस की काली कारगुजारी बताते हुए मृतक परिवारके लिए शासन से 25 लाख मुआवजे की मांग की है।
आज भारत–नेपाल सीमा के लोमेन्स लैंड करीब स्थित धनगढ़वा में पत्रकारों की टीम के पहुचते ही पूरा गांव उमड़ पड़ा। विजय के घर के सामने रोती कलपती महिलाओं का हुजूम था। गांव के सैकड़ों लोग भी वहां जुटे थे। मृतक विजय विजय की मां और उसकी 22 साल की पत्नी ऊषा देवी ने रो रोकर बताया कि 8 नवम्बर को गांव से कुछ दूर पर नेपाल बार्डर पर स्थापित लालपुर पुलिस चौकी के सिपाही उसके बेटे को बुला कर ले गये और उसे वहां नेपाल पुलिस को सौंप दिया। नेपाल पुलिस उससे चोरी की एक घटना कबूल कराना चाह रही थी, मगर विजय स्वीकार नहीं कर रहा था। नेपाल पुलिस की कहना था कि पकड़े गये एक अन्य अभियुक्त समद के बयान पर उसे पकड़ा गया है।
विजय की मां ने बताया कि उसके पति नहीं है। विजय ही घर का इकलौता कमाऊ था। उसने नेपाल पुलिस से सम्पर्क किया तो उससे बीस हजार रुपये मांगे गये, हम गरीब के लिए 20 हजार की रकम बहुत बड़ी थी। हम लोग पैसे का इंतजाम कर ही रहे थे कि उसके बेटे की मौत की सूचना आई। उसके बेटे की मौत की जिम्मेदार भारतीय पुलिस है।
क्या कहती है नेपाल पुलिस
इस सम्बंध में नेपाल पुलिस का कहना है कि विजय व समद को अदालत में पेश करने के लिए ले जाया जा रहा था। अचानक दोनों पुलिस हिरासत से भागने लगे। इस दौरान तो समद भागने में सफल रहा, लेकिन विजय भागते समय दुघर्टना का शिकार हुआ और उसकी मौत हो गई।
क्या कहती है विजय की पत्नी
इस बारे में गांव की साधारण औरत और मृतक विजय की पत्नी कहती है कि नेपाल पुलिस झूठ बोलती है। उसने पैसा न मिलने पर मेरे पति को टाचर्र किया जिससे उनकी मौत हो गई। इसके बाद उसकी लाश को फेंक कर दुर्घटना करार दे दिया। ऊषा देवी ने कहा कि अगर भारतीय पुलिस धोखे से मेरे पति को नेपाल पुलिस को न सौंपती तो उसकी हत्या न होती। उसने भारतीस पुलिस कर्मियों पर मुकदमा चलाने की मांग की।
गांव वाले क्या कहते हैं?
इस बारे में मृतक विजय के घर पर जुटे ग्रामीणों ने बताया कि इस प्रकरण में मोहाना पुलिस की भूमिका सबसे गड़बड़ है। विजय कोई अपराधी नहीं था। फिर भी गैरकानूनी ढंग से पुलिस ने उसे नेपाल प्रहरी को सौंप दिया और फिर विजय की जान चली गई। उन लोगों ने कहा कि मामले की जांच होनी चाहिए।
सीओ सदर ने कहा
इस प्रकरण पर गांव में सुरक्षा के लिहाज से कैंप किये हुए सीओ सदर डीके सिंह ने कहा कि पुलिस की मौत नेपाल पुलिस की अधिरक्षा से भागते वक्त हुई है। गांव वालों के आरोप के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि उन्हें भी कुछ ऐसी खबर सुनने को मिली है। वह इस मामले की जांच करायें और आरोप सही होने पर जिम्मेदार पुलिस जनों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
सदर विधायक ने कहा मृतक शराबी था
मंगलवार को मृतक विजय के घर पर सदर विधायक व हिंदू युवा वाहिनी के नेता श्यामधनी राही भी संवेदना देने पहुंचे। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि उनकी जानकारी के अनुसार मृतक विजय शराब पीने के लिए नेपाल गया था, जहां दुर्घटनावश उसकी मौत हो गई। लेकिन हम इसकी जांच करवा लेंगें। उनके इस बयान पर गांव वालों में बेहद रोष है।
यह सरासर पुलिसिया जुल्म और हत्या है– पूर्व विधायक पासवान
विजय उर्फ चीनक की मौत पर उसके घर संवेदना व्यक्त करने पहूंचे सपा नेता व पूर्व विधायक विजय पासवान ने कहा कि पैसे के लिए भारत और नेपाल पुलिस ने मिल कर एक निरापराध की जान ले ली। उन्होंने कहा कि किस कानून के तहत भारत की पुलिस ने उसे पकड़ कर नेपाल पुलिस को सौंपा।
विजय पासवान ने कहा कि विजय की हत्या के दोषी को सजा दिलाने के लिए आगे संघर्ष होगा। पुलिस की यह गुंडागर्दी असहनीय है। उन्होंने मृतक परिवार के लिए शासन से 25 लाख मुआवजे की मांग करते हुए विधायक के बयान की भी निंदा की और कहा कि मौजूदा विधायक जनता के बजाय पुलिस की भाषा बोल रहे हैं। भाजपा शासन में जनता की पीड़ा समझने के बजाय पुलिस को बचाने का अर्थ साफ है कि इस सरकार को जनता के सरोकारों से कोई मतलब नहीं है।