…और ग्रामप्रधान ने कर दिया जेल में बंद अभियुक्त के नाम फर्जी भुगतान
अजीत सिह
धानी, महाराजगंज। ग्रामवासी जेल में होता है और इसी के साथ वह मनरेगा मजदूर बन कर काम भी करता रहता है। उसके फर्जी काम का भुगतान भी कर दिया जाता है, मगर जिम्मेदार प्रधान के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है। क्या भ्रष्टाचार की ऐसी मिसाल कहीं और मिलेगी, जिसमें जेल में बंद व्यक्ति के नाम काम दिखा कर भुतान लिया गया हो?
प्राप्त जानकारी अनुसार विकास खंड धानी के ग्राम सभा रामपुर निवासी राकेश पुत्र विश्वनाथ बीते 25 मई को मारपीट के एक मामले में मुकदमा संख्या 498 में जेल में पाबंद किया गया। वह इस मामले में 27 मई को जेल से रिहा होकर आया। बावजूद अधिकारियों की कृपा उसपर बनी रही और इन तीन दिनों की मजदूरी भी उसके खाते में भेज दी गई । मालूम हो कि राकेश के खाते में बीते 15 मई। से 28 मई तक कुल 14 दिनों की मजदूरी रुपया 2828 भेजी गई जबकि वह 25 मई से 27 मई तक यानी तीन दिन तक जेल में था । ऐसे में सवाल उठता है कि जब वह जेल में था, तबउसने मजदूरी कैसे किया। गांव वाले बताते हैं कि यह खुल्लम ‘ाल्ला भ्रष्टाचार है। ऐसे और भी जाने कितने केस गांव में हुए होंगे।
ग्रामवासियों का कहना है कि ग्राम सभा रामपुर में चल रहे मनरेगा कार्यों में भारी अनियमितता की जा रही है | मनरेगा कार्यों की जमीनी हकीकत कागजों तक सीमित है। ग्राम के रोजगार सेवक मुनिराम यादव द्वारा उच्चाधिकारियों को इसके के बारे में कई बार अवगत कराने के बाद भी अनियमितता का खेल जारी है । जेल गए मनरेगा मजदूर के खाते में भेजी गई मजदूरी सरकारी धन के दुरूयोग का स्पष्ट प्रमाण है। इस सम्बन्ध में खंड विकास अधिकारी धानी दुर्योधन प्रसाद का कहना है कि मामला संज्ञान में। इस मामले में आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।