एक सप्ताह में हो सकती है निकाय चुनावों की घोषणा, लखनऊ तक जुगाड़ साध रहे चुनावबाज
सिद्धार्थनगर। दीपावली का त्यौहार निपटने के साथ ही शहरी निकाय के चुनावों को निपटाने के लिए प्रदेश सरकार हरकत में आ गई है। इसके लिए राज्य चुनाव आयोग की हलचलें भी बढ़ गई हैं। लखनऊ के जिम्मेदार सूत्रों के मुताबिक नवम्बर महीने के पहले सप्ताह में चुनाव की अधिसूचना जारी हो सकती है। इसी दौरान निकायों की आरक्ष्ण सूची भी जारी कर दी जागी। यानी पूरी प्रकिया दस दिनों के भीतर ही निपटा दी जाएगी।
राजधानी के सूत्रों के अनुसार राज्य निर्वाचन आयोग निकाय चुनावों की तैयरियों में अंतिम रूप से जुटा हुआ है।खबर है कि निकायों व उसके वार्डों के आरक्षण की सूची को अंतिम रूप दिया जा रहा है। लखनऊ के मीडिया जगत में यह चर्चा चल रही है कि अक्तूबर माह के अंतिम तिथि अथवा दो नवम्बर तक वार्डो के अरक्षण की सूची को जारी कर दी जाएगी और एक सप्तह बाद चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। सूत्र यह भी बताते है कि निकायों का आरक्षण अपने मनमाफिक कराने के लिए कई चुनावबाज अथवा उनके समर्थक लखनऊ के राजनीतिक गलियारों में अपना जुगाड़ लगा रहे हैं।
दूसरी तरफ सूत्रों का यह भी कहना है कि आरक्षण सूची जारी कर उस पर आपत्ति के लिए मात्र एक सप्ताह का समय दिया जाएगा और समयावधि पूरी होते ही चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। इससे यही प्रतीत होता है कि यदि 2-3 नवम्बर तक आपत्ति मांगी गई तो तीन या चार नवम्बर तक अधिसूचना भी जारी हो जाएगी। अगर बहुत देरी हुई तो भी यह तारीख 7 नवम्बर से ज्यादा नहीं होगी।
चुनावबाज भी पीछे नहीं
राज्य निर्वाचन आयोग की चुनावी तैयारियों को महसूस कर कहा जा सकता हैकि शहरी निकायों के चुनाव सर पर आ चुके हैं। इसी के मद्देनजर दीपावली के अवसर पर चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों ने पर्व के बहाने चुनाव प्रचार कर एक तीर से दो निशाना साधा। पर्व के मौके पर चुनावबाजों ने अपने क्षेत्र के प्रभावशाली लोगों के घर मिष्ठान व डाई फ्रूट का गिफ्ट पैक प्रदान उनसे संवाद बनाया तथा चुनावी माहौल बना पर बातचीत की। जिले की 11 शहरी निकायों के लिए चुनावी हलचलें तेज होती जा रही है।टिकट के दावेदारों का मानना है कि पर्व समाप्त होने के बाद चुनावों की घोषणा का निश्चित रूप से एलान कर दिया जाएगा।
जानकारों के अनुसार एक सप्ताह के अंदर चुनाव तिथि की घोषणा कर दी जाएगी। ऐसे में उन्हें टिकट के जुगड़ के लिए पार्टी स्तर पर भी जोड़ तोड़ करने के लिए भागदौड़ करना पड़ेगा। कई चुनावबाजो ऐसे हैं जो एक साथ दो दलों में अपनी सअंग बनाये हुए हैं।कि अगरएक दल ने घोखा दिया तो वे दूसरे दल से चुनाव लड सकें। इसलिए चालाक चुनावबाज क्षेत्र छोड़ने के पहले एक बार इलाके के प्रभावशाली तत्वों से मिलना उचित समझ रहे हैं।